उत्तराखंड विधानसभा सत्र: स्व. पंत के नाम पर होगा विधानसभा परिसर का नवीन भवन
उत्तराखंड विधानसभा का इस वर्ष का दूसरा सत्र सोमवार से शुरू हो गया। पहले दिन सदन में दिवंगत कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि दी गई।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 24 Jun 2019 08:18 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा के सोमवार से शुरू हुए सत्र के पहले दिन दिवंगत कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत को सदन ने पुरनम आंखों से श्रद्धांजलि दी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने स्वर्गीय पंत को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि वह प्रदेश के विकास में दिए गए अविस्मरणीय योगदान के लिए हमेशा याद रहेंगे। उन्होंने कहा कि पंत की कार्यशैली और मृदुभाषिता सभी को प्रेरणा देती रहेगी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा परिसर में स्थित नवीन भवन का नाम स्वर्गीय पंत के के नाम पर 'प्रकाश पंत विधानसभा अतिथि गृह' रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्व.पंत ने राज्य में स्वस्थ संसदीय परंपरा की नींव डाली।
विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कार्यकारी संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने प्रस्ताव रखा कि प्रश्नकाल समेत सभी कार्यों को निलंबित करते हुए दिवंगत संसदीय कार्य एवं वित्तमंत्री प्रकाश पंत को श्रद्धांजलि दी जाए। पीठ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस मौके पर नेता सदन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वर्गीय पंत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से रोशनी डाली।
एलएलबी की पढ़ाई कर रहे थे पंत
मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदुभाषी और मुस्कान के साथ हर समस्या का निदान करने वाले पंत में सीखने की गजब की ललक थी। अंतरिम विधानसभा के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने संसदीय ज्ञान के जरिए इसे साबित किया। दिवंगत होने से पहले पंत एलएलबी की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने पंत के संसदीय व वित्तीय मामलों का ज्ञान, साहित्यिक रचनाओं, कार्यशैली का जिक्र भी किया।
...फफक पड़े मुख्यमंत्री
अपने सहयोगी मंत्री के कार्यों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री रावत फफक पड़े और उनका गला भर आया। उन्होंने कहा कि राज्य से जुड़े तमाम सवालों के समाधान में पंत ने अहम भूमिका निभाई। हमने एक समाधानकर्ता खो दिया, उनकी कमी हमेशा खलेगी। यह कहते-कहते उनका गला भर आया। कुछ देर चुप रहने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारी ने जब दस्तक दी, तब समझ नहीं सके। जब समझे तो देर हो चुकी थी। सभी ने पंत के स्वस्थ होने की कामना की, मगर नियति को यह मंजूर नहीं थी। इसके बाद फिर वह फफक पड़े।
नेता प्रतिपक्ष डॉ.हृदयेश भी हुई भावुकसदन में नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत का असामयिक निधन हम सबकी अपूरणीय क्षति है। ज्ञान को विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत करने की कला पंत में थी। यह खूबी कहीं नजर नही आती। उन्होंने पंत से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि हम प्रकाश पंत को कई बार कहते थे कि आबकारी विभाग तुमने गलत लिया, यह तुम्हारे चरित्र के अनुरूप नहीं है। संस्मरण सुनाते-सुनाते वह भावुक हो गईं और गला भर आया। उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने कहा कि स्वर्गीय पंत ऐसे नेता थे, जिन्हें सभी फॉलो करते थे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री के रूप में पंत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। उनकी धरोहर को चिरस्थायी बनाए रखने का प्रयास होना चािहए।
साथी मंत्रियों ने किया पंत को यादसरकार के मंत्रियों ने भी सदन में अपने साथी दिवंगत प्रकाश पंत को याद किया। कार्यकारी संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्व.पंत का राज्य के प्रति उनका समर्पण सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पूर्व मंत्री पंत ने नर सेवा से नारायण सेवा के कथन को फलीभूत किया। जीएसटी काउंसिल में भी पंत ने छाप छोड़ी। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि प्रकाश पंत वह पुंज थे, जिन्होंने राजनीति में उच्च मानदंड स्थापित किए। कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की भांति स्व.पंत ने राज्य के विकास में भूमिका निभाई। कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि व्यक्ति पद या पैसे से बड़ा नहीं होता, इंसानियत से बड़ा होता है। प्रकाश पंत ऐसे ही व्यक्ति थे। राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सभी को प्रकाश पंत के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए। राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि राज्य से जुड़े विषयों में जहां भी कठिनाई आई, उसके निराकरण में प्रकाश पंत ने अहम भूमिका निभाई।
विधायकों के लिए 'शिक्षक' की तरह थे पंतसत्ता पक्ष एवं विपक्ष में समान रूप से लोकप्रिय रहे संसदीय ज्ञान के मर्मज्ञ स्व.पंत के ज्ञान, कौशल के सभी मुरीद थे। विधायकों के लिए शिक्षक की तरह थे। सदन में तमाम विधायकों ने जहां पंत से जुड़े संस्मरण सुनाए, वहीं कई विधायकों ने कहा कि संसदीय ज्ञान का ककहरा उन्होंने स्व.पंत से ही सीखा। सभी कहा कि उच्चकोटि की संसदीय परंपराओं को आत्मसात करना ही पंत के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
2016 का घटनाक्रम भी गूंजासदन में वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम का भी जिक हुआ। कैबिनेट मंत्री कौशिक ने कहा, '2016 में एक घटना घटी। तब पंत सदन के सदस्य नहीं थे। तब विचार कर रहे थे कि किस नियम के तहत कदम उठाना है। इसे देखते हुए पंत को बैठक में बुलाया गया और उन्होंने नियमावली व संविधान के अनुच्छेद की जानकारी देते हुए 10 मिनट में समाधान कर दिया।'
इन विधायकों ने दी भी श्रद्धांजलिहरबंस कपूर, कैलाश गहतौड़ी, राजेश शुक्ला, विनोद चमोली, काजी निजामुद्दीन, प्रीतम पंवार, बंशीधर भगत, विनोद कंडारी, बिशन सिंह चुफाल, राजकुमार, गणेश जोशी, महेंद्र भट्ट, पुष्कर सिंह धामी, मुन्ना सिंह चौहान, मनोज रावत, प्रदीप बत्रा, राजकुमार ठुकराल, दिलीप रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, आदेश चौहान, ममता राकेश, देशराज कर्णवाल, हरभजन सिंह चीमा, महेश नेगी, ऋतु खंडूड़ी, सुरेश राठौर, सुरेंद्र सिंह नेगी, मुकेश कोली, सौरभ बहुगुणा, मीना गंगोला, सुरेंद्र सिंह जीना, संजय गुप्ता, सहदेव सिंह पुंडीर, स्वामी यतीश्वरानंद, राम सिंह कैड़ा, चंदनरामदास, बलवंत भौंर्याल, पूरन फर्त्याल, प्रेम सिंह राणा, विस उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान।पंत के चित्र पर माल्यार्पणसदन में प्रवेश करने से पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों के साथ ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों ने मुख्य द्वार पर पंत के चित्र पर पुष्पांजलि की। इसके बाद ही सदन में प्रवेश किया। यह भी पढ़ें: पंचायत चुनाव की तैयारी में अभी से जुटने की जरूरत: अजय भट्ट Dehradun Newsयह भी पढ़ें: अजय भट्ट बोले, औली विवाद पर सरकार की ओर से नहीं हुई सही पैरवीलोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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