सावधान! म्यूकर माइकोसिस का कारण बन सकता है मास्क, ध्यान में रखें एम्स के डॉक्टरों की ये सलाह
लंबे समय तक एक ही मास्क का इस्तेमाल आपको भी म्यूकर माइकोसिस से ग्रसित कर सकता है। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने सलाह दी कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सूती कपड़े के मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरह धोना जरूरी है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Thu, 10 Jun 2021 07:10 AM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। लंबे समय तक एक ही मास्क का इस्तेमाल आपको भी म्यूकर माइकोसिस से ग्रसित कर सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने सलाह दी है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सूती कपड़े के मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरह धोना जरूरी है। चिकित्सकों की मानें तो जून और जुलाई के महीने में वातावरण में आर्द्रता बहुत कम हो जाती है। ऐसे में जब हम नाक से सांस लेते हैं तो उसके आगे मास्क लगे होने से मास्क के अंदर की ओर नमी बनी रहती है।
मास्क को लगातार पहने रहने से इस नमी में कीटाणु पनपने लगते हैं, जिससे फंगस के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो जाता है। फिर नाक और मुंह से होता हुआ यह फंगस धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को संक्रमित कर देता है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि सूती मास्क हमेशा धुले हुए और साफ-सुथरे पहनने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि जिसे कोविड नहीं हुआ हो उसे म्यूकर माइकोसिस नहीं हो सकता। नॉन डिस्पोजल मास्क को दैनिक तौर से साफ नहीं करने वाले लोगों को भी इस बीमारी का खतरा हो सकता है।
कोविड के नोडल अधिकारी डा. पीके पण्डा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण अधिकांश नॉन कोविड रोगी अपने स्वास्थ्य संबंधी जांचों के प्रति लापरवाह बने हुए हैं। ऐसे में नियमित जांच नहीं कराए जाने से उन्हें अपनी इम्युनिटी और ब्लड में शुगर लेवल की मात्रा का पता नहीं चल पाता। उन्होंने कहा कि म्यूकर माइकोसिस से बचाव के लिए ब्लड में शुगर की मात्रा की रेगुलर जांच कराना जरूरी है। म्यूकर रोगियों के उपचार की सुविधा के बारे में उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों के लिए एम्स में सात वार्ड बनाए गए हैं। इनमें कुल 185 बेड हैं, जिनमें 65 आइसीयू सुविधा वाले बेड हैं।
घटने लगा म्यूकर माइकोसिस के मरीजों का ग्राफ म्यूकर माइकोसिस (फंगस) अक्सर कोविड के लक्षण उभरने के तीन सप्ताह बाद से पनपना शुरू होता है। कमजोर इम्युनिटी और शुगर पेशेंट के लिए यह फंगस सबसे अधिक घातक है। म्यूकर माइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड और ईएनटी सर्जन डा. अमित त्यागी का कहना है कि कोविड की दूसरी लहर का पीक टाइम मई का दूसरा सप्ताह था।
इस लिहाज से मई अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह तक म्यूकर के मरीजों का ग्राफ तेज गति से बढ़ा था, लेकिन अब इसमें कमी आनी शुरू हो गई है। मई महीने में एम्स में दैनिकतौर पर म्यूकर ग्रसित सात से 12 पेशेंट आ रहे थे, जबकि अब यह संख्या चार से सात प्रतिदिन हो गई है। उन्होंने बताया कि एम्स में अभी तक म्यूकर के कुल 208 पेशेंट आ चुके हैं।
यह भी पढ़ें- Uttarakhand Coronavirus Update: उत्तराखंड में कोरोना के 546 नए मामले, 13 संक्रमितों की मौत
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।