Uttarakhand Cabinet: उत्तराखंड में 5000 MW बिजली उत्पादन का रास्ता साफ, परियोजना विकासकर्ताओं को मिलेगी छूट
उत्तराखंड में विद्युत की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति विशेष रूप से पीक आवर्स में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। बढ़ती मांग के अनुसार बिजली की सुचारू आपूर्ति के लिए पंप भंडारण परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उत्तराखंड पंप भंडारण परियोजना नीति को स्वीकृति दी। राज्य के भीतर केंद्र व राज्य सरकार के उपक्रमों की बांध आधारित जलविद्युत परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता में वृद्धि की जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो: उत्तराखंड में विद्युत की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति विशेष रूप से पीक आवर्स में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। बढ़ती मांग के अनुसार बिजली की सुचारू आपूर्ति के लिए पंप भंडारण परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उत्तराखंड पंप भंडारण परियोजना नीति को स्वीकृति दी।
राज्य के भीतर केंद्र व राज्य सरकार के उपक्रमों की बांध आधारित जलविद्युत परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता में वृद्धि की जाएगी। इस नीति से 1000 मेगावाट से 5000 मेगावाट तक अतिरिक्त बिजली उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।
गर्मी के मौसम की रातों में होती है ज्यादा खपत
प्रदेश में बिजली की मांग गर्मियों के मौसम में विशेष रूप से रात्रि में बिजली की ज्यादा खपत होती है। इस अवधि में मांग के अनुसार, बिजली की आपूर्ति करने में सरकार को मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए मंत्रिमंडल ने महत्वाकांक्षी उत्तराखंड पंप भंडारण परियोजना नीति को मंगलवार को स्वीकृति दी।
नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के लिए इस परियोजना का विकास किया जाएगा। नवीकरणीय या सौर ऊर्जा अथवा दिन में मिलने वाली अपेक्षाकृत सस्ती बिजली के माध्यम से बांध परियोजनाओं की जल भंडारण क्षमता बढ़ाई जाएगी। इस जल के माध्यम से पीक आवर्स में बिजली उत्पादन किया जाएगा।
राष्ट्रीय ग्रिड से मिलने वाली बिजली होती है महंगी
विशेष बात यह है कि पीक आवर्स में राष्ट्रीय ग्रिड से मिलने वाली बिजली काफी महंगी होती है। नई नीति के अंतर्गत उत्तराखंड जलविद्युत निगम के अतिरिक्त केंद्रीय उपक्रमों एनएचपीसी, एनटीपीसी, टीएचडीसी की बांध आधारित जलविद्युत परियोजनाओं को पंप भंडारण योजना से जोड़ा जाएगा। पेयजल और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी इन परियोजनाओं की सहायता ली जा सकेगी।
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि निजी क्षेत्र को भी इस योजना में निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा। निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने इस नीति के अंतर्गत कई छूट देने की व्यवस्था की है।
निजी भूमि के हस्तांतरण की अनुमति शीघ्र
परियोजना विकासकर्ताओं को राज्य को रॉयल्टी के रूप में 12 प्रतिशत निशुल्क बिजली से मुक्त रखा गया है। भंडारण परियोजना के लिए निजी भूमि के हस्तांतरण की अनुमति शीघ्र मिलेगी। वहीं, सरकार भूमि को 45 वर्षों की अवधि के लिए सर्किल दर से जुड़ी वार्षिक पट्टा दर पर आवंटित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह नीति 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की समस्त भंडारण परियोजनाओं के लिए लागू होगी। इस नीति में विकासकर्ताओं को यह छूट भी होगी कि स्वयं स्थल चिह्नित करने पर उन्हें परियोजना आवंटित की जाएगी।
ऑन स्ट्रीम परियोजनाएं
इसके अंतर्गत पहले से स्थापित बांधों के समीप पंप भंडारण क्षमता विकसित की जाएगी। समस्त आन स्ट्रीम परियोजनाओं की क्षमता का 80 प्रतिशत तक प्रथम अस्वीकृति का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से विकसित क्षमता के लिए शुल्क का निर्धारण करेगा।
ऑफ स्ट्रीम परियोजनाएं
इसके अंतर्गत नदी क्षेत्रों से दूर जलाशय बनाकर इस योजना के अंतर्गत विद्युत उत्पादन किया जा सकता है। राज्य सरकार को परियोजना क्षमता के 50 प्रतिशत तक अस्वीकृति का अधिकार होगा।
परियोजनाओं के विकास को इस प्रकार मिलेगी सहायता
- अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट
- स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से छूट
- राज्य को निशुल्क विद्युत रॉयल्टी से छूट
- समस्त श्रेणियों की परियोजनाओं के त्वरित विकास को निजी भूमि हस्तांतरण की अनुमति आवेदन के आठ सप्ताह में दी जाएगी
- जल कर: परियोजनाओं के लिए जल कर केवल भंडारण स्थलों में जल के शुद्ध प्रवेश पर एक बार लिया जाएगा। विद्युत उत्पादन के लिए भंडारण स्थलों के मध्यम जल के पुनर्चक्रण पर लागू नहीं होगा।
- स्थापित परियोजनाओं वाले विकासकर्ताओं को वरीयता: पंप भंडारण परियोजना की क्षमता आवंटित जलविद्युत क्षमता से अधिक होगी। इस अतिरिक्त परियोजना क्षमता को अग्रिम प्रीमियम में कोई वृद्धि लागू नहीं होगी।
- एकल खिड़की निकासी: परियोजना विकासकर्ताओं को एकल खिड़की निकासी उपलब्ध कराई जाएगी।
- बैंक गारंटी: तीन वर्ष के लिए विद्युत शुल्क एवं पारेषण शुल्क के समान बैंक गारंटी दी जाएगी। इसे आवंटन की तिथि से एक माह के अंतर्गत दिया जाएगा।
परियोजना के लिए निर्धारित अवधि
- विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी व राज्य व केंद्र सरकारों व नियामक की सभी वैधानिक स्वीकृति व अनुमोदन आवंटन तिथि से ढाई वर्ष।
- भूमि अधिग्रहण, वित्तपोषण आवंटन तिथि से ढाई वर्ष।
- निर्माण कार्य पूर्ण करने और राज्य व केंद्र सरकारों व नियामक की वैधानिक स्वीकृति व अनुमोदन प्राप्त होने के तीन वर्ष के अंतर्गत।
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