Pushkar Singh Dhami : अपनी सीट से हारने के बाद भी पुष्कर सिंह धामी क्यों चुने गए नए सीएम, यह हैं उनकी ताजपोशी के बड़े कारण
Pushkar Singh Dhami उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री चुनकर भाजपा ने साफ कर दिया कि नेतृत्व क्षमता के पैमाने पर कोई खरा साबित होता है तो उसे फिर से अवसर दिया ही जाना चाहिए।
By Nirmala BohraEdited By: Updated: Tue, 22 Mar 2022 08:08 AM (IST)
विकास धूलिया, देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री चुनकर भाजपा ने साफ कर दिया कि नेतृत्व क्षमता के पैमाने पर कोई खरा साबित होता है तो उसे फिर से अवसर दिया ही जाना चाहिए।
दो-तिहाई बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसीधामी पार्टी का चुनावी चेहरा थे और उन्हीं को आगे कर भाजपा महासमर में उतरी। धामी भाजपा नेतृत्व के विश्वास को बनाए रखने में सफल रहे और कई तरह के मिथक तोड़ते हुए उन्होंने भाजपा की दो-तिहाई बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी सुनिश्चित की।
यद्यपि, वह स्वयं अपनी सीट गंवा बैठे, लेकिन पार्टी ने इसके बावजूद उन्हीं पर अगले पांच साल के लिए भरोसा किया। विशेष रूप से पार्टी के इस निर्णय को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि धामी पर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में शत-प्रतिशत सफलता के पिछले दो चुनाव के रिकार्ड को बनाए रखने की जिम्मेदारी रहेगी।संवादहीनता पाटने में पाई सफलता
पिछले वर्ष जुलाई में जब तीरथ सिंह रावत के उत्तराधिकारी के रूप में युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपा गया, तब इस बात को लेकर संशय था कि अनुभव के दृष्टिकोण से क्या वह उम्मीदों को पूरा कर पाएंगे। धामी तब ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट से केवल दूसरी बार ही विधायक बने थे और उन्हें कभी मंत्री बनने तक का अवसर नहीं मिला था।
इसके बावजूद छह महीने की अल्प अवधि में धामी ने न केवल सरकार और पार्टी के बीच की संवादहीनता को पाटने में सफलता पाई, बल्कि सौम्य छवि, सरल कार्यशैली और आसानी से उपलब्धता के मामले में भी वह अपने पूर्ववर्तियों से आगे निकल गए।वाणी पर संयम, दिग्गजों से पाई सराहनाछह महीनों के कार्यकाल में धामी के व्यक्तित्व का एक और पहलू सामने आया, वाणी पर संयम। इंटरनेट मीडिया के इस युग में जब तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगती, धामी के किसी बयान ने कोई नकारात्मक चर्चा नहीं बटोरी। यही नहीं, इस अवधि में किसी तरह के विवाद का कोई दाग भी उनके दामन पर नहीं लगा।
इसके विपरीत उनके राजनीतिक चातुर्य, दूरदर्शी सोच, पारदर्शी कार्यशैली, वक्तृत्व क्षमता और निर्णय लेने में तत्परता के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सार्वजनिक मंचों से उनकी सराहना की। अपने छोटे से कार्यकाल और फिर चुनाव के समय उन्होंने पूरे राज्य का भ्रमण कर पार्टी के पक्ष में वातावरण बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कोश्यारी की राजनीतिक विरासत के संवाहकउत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु हैं। कोश्यारी को राजनीति का चतुर खिलाड़ी माना जाता है और अब धामी ने भी सिद्ध कर दिया कि वह उनकी राजनीतिक विरासत के संवाहक की भूमिका में पूरी तरह सफल रहे हैं। मुख्यमंत्री के रूप में और अब जिन परिस्थितियों में उन्हें फिर अवसर मिला है, यह बताने के लिए काफी है कि धामी पार्टी के दिग्गजों के बीच सामंजस्य बिठाकर आगे बढऩे की कला में भी सिद्धहस्त हो चुके हैं।
यही कारण रहा कि चुनाव में पराजित होने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत ने उनकी नेतृत्व क्षमता का लोहा माना। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा धामी को फिर सरकार का नेतृत्व सौंपे जाने का रास्ता साफ करने में भाजपा के दिग्गजों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।यह भी पढ़ें :- पुष्कर सिंह धामी होंगे उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में लिया गया फैसला
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