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उत्तराखंड में भूजल और जलस्रोतों के बेतहाशा दोहन पर सरकार गंभीर, एक दिसंबर से लगेगा पानी पर टैक्स

Groundwater Exploitation उत्तराखंड सरकार ने भूजल और जलस्रोतों के बेतहाशा दोहन पर लगाम लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 1 दिसंबर से राज्य में भूजल और जलस्रोतों से पानी के व्यावसायिक उपयोग पर टैक्स लगाया जाएगा। कैबिनेट ने चमोली उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में स्थित आईटीबीपी की बटालियनों को मांस के लिए स्थानीय निवासियों से भेड़-बकरी कुक्कुट और मछली की आपूर्ति कराने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

By kedar dutt Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 24 Oct 2024 01:23 PM (IST)
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वन्यजीवों से हमले में घायल होने की दशा में मुआवजा और आयुष्मान योजना में उपचार दोनों का मिलेगा लाभ
राज्य ब्यूरो, जागरण  देहरादून। उत्तराखंड में भूजल और जलस्रोतों के बेतहाशा दोहन पर सरकार गंभीर हुई है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में भूजल और जलस्रोतों से पानी के व्यावसायिक उपयोग पर एक दिसंबर से टैक्स लगाने को मंजूरी देने के साथ ही जल मूल्य की दरों पर भी मुहर लगा दी गई।

कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ में स्थित आइटीबीपी की बटालियों को मांस के लिए स्थानीय निवासियों से भेड़-बकरी, कुक्कुट व मछली की आपूर्ति कराने संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दी। इस संबंध में जल्द ही आइटीबीपी व पशुपालन विभाग एमओयू हस्ताक्षरित करेंगे।

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राज्य के नगरीय क्षेत्रों में स्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण से जुड़े विषय के दृष्टिगत संबंधित अधिनियम को अध्यादेश के जरिये तीन साल आगे बढ़ाने, वन्यजीवों के हमले में घायल होने पर मुआवजा व अटल आयुष्मान कार्ड से उपचार दोनों उपलब्ध कराने समेत अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय भी कैबिनेट ने लिए। कैबिनेट की बैठक में लगभग 30 विषयों से संबंधित प्रस्तावों पर विमर्श किया गया।

उपयोग की दृष्टि से श्रेणीवार जल मूल्य की दरें तय

बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगोली ने बताया कि राज्य में कृषि व कृषि से संबंधित कार्यों और राजकीय पेयजल व्यवस्था को छोड़कर भूजल व जलस्रोतों के पानी का व्यावसायिक उपयोग करने पर जल मूल्य की दरों से संबंधित सिंचाई विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।

इसमें भूजल और जलस्रोतों से पानी के उपयोग की दृष्टि से श्रेणीवार जल मूल्य की दरें तय की गई हैं। यानी, औद्योगिक इकाइयों, होटल, वाटर एम्यूजमेंट पार्क, रेजिडेंशियल अपार्टमेंट, ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, वाहन धुलाई सेंटर आदि से यह जल मूल्य लिया जाएगा। ये दरें आगामी एक दिसंबर से लागू होंगी।

इससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा।  सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों के निवासियों की आजीविका की दृष्टि से सरकार ने अहम कदम उठाया है। राज्य के तीन जिलों में स्थित आइटीबीपी बटालियनों को मांस के लिए जीवित भेड़-बकरी, कुक्कुट व मछली आपूर्ति इन गांवों के निवासियों के माध्यम से होगी। इसके लिए पशुपालन विभाग के अंतर्गत इन गांवों के निवासियों की सहकारी समितियां गठित की गई हैं। इससे 11190 लोग लाभान्वित होंगे।

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भेड़-बकरी, कुक्कुट व मछली पालकों को तत्काल मूल्य उपलब्ध कराने के लिए पांच करोड़ के रिवाल्विंग फंड को मंजूरी दी गई है। साथ ही बाजार मूल्य को ध्यान में रखते हुए सरकार गैप फंडिंग भी करेगी।

गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र के सत्रावसान को भी मंजूरी

राज्य के नगर निकायों में अभी तक चिह्नित 582 मलिन बस्तियों के निवासियों को भी कैबिनेट ने राहत दे दी है। मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन एवं पुनव्र्यवस्थापन के मद्देनजर लागू नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रविधान अधिनियम की अवधि बुधवार को समाप्त होने से बस्तियों के निवासियों में भय बना था। निकाय चुनाव के आलोक में यह विषय चर्चा के केंद्र में था।

कैबिनेट ने अध्यादेश के जरिये इस अधिनियम की अवधि को तीन साल आगे बढ़ाने पर सहमति दे दी। इससे पहले कैबिनेट ने विधानसभा के अगस्त में गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र के सत्रावसान को भी मंजूरी दी।  कैबिनेट ने मानव-वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि संशोधन नियमावली लागू करने को भी स्वीकृति दी। इसके तहत वन्यजीवों के हमले में घायल होने पर आर्थिक सहायता व अटल आयुष्मान में उपचार, दोनों का लाभ मिलेगा।

वन्यजीवों द्वारा मवेशियों को मार डालने पर मुआवजे की प्रक्रिया भी सरल की गई है। अब वन रक्षक और वन रक्षक व ग्राम प्रधान द्वारा संयुक्त रूप से पुष्टि करने पर संबंधित रेंजर प्रमाणपत्र जारी करेगा और फिर प्रभावित पशुपालक को मुआवजा दिया जाएगा।

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