देवभूमि उत्तराखंड के शिल्प को देश-दुनिया में मिलेगी पहचान, सरकार उपलब्ध कराएगी बाजार
उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 21 साल पूरे होने को हैं लेकिन यहां का हस्तशिल्प अभी तक पहचान का संकट झेल रहा है। वह भी तब जबकि हस्तशिल्पियों और बुनकरों की ओर से तैयार उत्पादों की अच्छी मांग है। चारधाम यात्रा के दौरान इनसे अच्छी आय भी होती है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 28 Oct 2021 09:48 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड का गठन हुए 21 साल हो चुके हैं लेकिन यहां का हस्तशिल्प अभी तक पहचान का संकट झेल रहा है। यह स्थिति तब है जब यहां के हस्तशिल्पियों व बुनकरों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को पर्यटक काफी पसंद करते हैं। चारधाम यात्रा के दौरान इनसे अच्छी आय भी होती है। अब प्रदेश सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है। सरकार द्वारा शुरू की गई एक जनपद दो उत्पाद योजना इस कड़ी में काफी अहम मानी जा रही है।
योजना के अंतर्गत सरकार अब ऐसे उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराएगी। बदलते दौर में नई तकनीक से युक्त करने के साथ ही बाजार की मांग के अनुसार इन्हें आकर्षक, प्रभावी व उच्च गुणवत्तापूर्ण भी बनाया जाएगा। हाल में पांच हस्तशिल्प उत्पादों को जीआइ टैग मिलने से इस मुहिम में तेजी आएगी। इसके अलावा विभाग अब अन्य हस्तशिल्प उत्पादों की जीआइ टैगिंग के लिए प्रयास कर रहा है।राज्य गठन से पहले से ही प्रदेश में पर्वतीय जिलों में मांग पर आधारित सूक्ष्म व लघु उद्योग स्थापित हैं। इनमें लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प, ऊनी शाल, कालीन, ताम्रशिल्प, सजावटी कैंडल, रिंगाल के उत्पाद, ऐपण, लौह शिल्प आदि शामिल हैं। वैश्वीकरण व आर्थिक उदारीकरण के इस दौर में आयातित तथा मशीन से बने उत्पादों के बाजार में आने से यहां के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों के विकल्प कम कीमत पर उपलब्ध होने लगे। नई तकनीक व डिजाइन से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। इससे ये उद्योग बंदी के कगार पर आ गए।
राज्य गठन के बाद बदली परिस्थितियों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास, राज्य में पर्यटकों के अवागमन व आनलाइन मार्केटिंग की सुविधा विकसित होने से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथकरघा, हस्तशिल्प व सोवेनियर उद्योग के उत्पादों की ओर रुझान बढ़ा है। इसे देखते हुए यह माना गया कि यहां के पारंपरिक उद्योगों को समुचित तकनीकी प्रशिक्षण, डिजाइन विकास, कच्चे माल की उपलब्धता व नवोन्मेष के आधार पर फिर से स्थापित किया जाता है तो इन उत्पादों को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्द्धन के साथ ही रोजगार के अधिक अवसर बन सकते हैं।
सचिव उद्योग अमित नेगी ने कहा कि उत्तराखंड का हस्तशिल्प देश-दुनिया में मजबूती के साथ खड़ा हो, इसके लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं।
एक जनपद दो उत्पादजिला उत्पाद
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- अल्मोड़ा - बाल मिठाई, ट्वीड
- बागेश्वर - ताम्रशिल्प उत्पाद व मंडुवा बिस्किट
- चम्पावत- लौह शिल्प उत्पाद, हस्तशिल्प उत्पाद
- चमोली - हथकरघा व हस्तशिल्प, एरोमेटिक हर्बल उत्पाद
- देहरादून- बेकरी उत्पाद, मशरूम
- हरिद्वार - गुड़ व शहद
- नैनीताल - एपण क्राफ्ट व कैंडिल क्राफ्ट
- पिथौरागढ़ - ऊनी कारपेट व मुंस्यारी राजमा
- पौड़ी - हर्बल उत्पाद व वुडन फर्नीचर
- रुद्रप्रयाग - मंदिर अनुकृति हस्तशिल्प, प्रसाद उत्पाद
- टिहरी- प्राकृतिक रेशा उत्पाद व टिहरी नथ
- ऊधमसिंह नगर- मेंथा आयल व मूंज घास उत्पाद
- उत्तरकाशी- ऊनी हस्तशिल्प व सेब आधारित उत्पाद