कुत्तों से हो जाएं सावधान, क्योंकि उत्तराखंड में नहीं है एंटी रैबीज वैक्सीन
उत्तराखंड के अस्पतालों में न एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है और न ही बाजार में। कारण यह कि जो दवा कंपनी वैक्सीन बनती है वह इसकी आपूर्ति ही नहीं कर पा रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 30 May 2019 12:50 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। भगवान न करे कि इस समय किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले। क्योंकि अगर किसी के साथ ऐसी अनहोनी हो जाती है तो एंटी रैबीज लगाने के लाले पड़ जाएंगे। क्योंकि स्थिति कुछ ऐसी है कि यहां न अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन उपलब्ध है और न ही बाजार में। कारण यह कि जो दवा कंपनी वैक्सीन बनती है वह इसकी आपूर्ति ही नहीं कर पा रही है। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भीषण गर्मी व लू के कारण कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है कुत्तों के काटने के ज्यादा मामले समाने आते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की ही बात करें, तो यहां हर दिन डॉग बाइट के 50-60 मरीज पहुंच रहे हैं। नए-पुराने मरीज मिलाकर यह संख्या 150 तक पहुंच जाती है। लेकिन उन्हें वैक्सीन नहीं लग पा रही है। कारण यह कि वैक्सीन का स्टॉक पिछले काफी वक्त से खत्म है। प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों की कमोबेश यही स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एंटी रैबीज वैक्सीन की प्रदेश में हर साल तकरीबन 20 हजार वाइल की खपत है। पर पिछले तीन माह से वैक्सीन की आपूर्ति नहीं हुई है। बताया गया कि वर्तमान समय में स्टॉक में 500-700 वाइल हैं। पर सरकारी अस्पतालों की डिमांड की तुलना में नाकाफी है। इस स्थिति में अस्पतालों में वैक्सीन खत्म और मरीज परेशान हैं। उनकी यह परेशानी यहीं खत्म नहीं होती। बाजार में भी वैक्सीन नहीं मिल रही है।
क्यों हुई समस्या
अभी तक तीन कंपनियां वैक्सीन का उत्पादन करती थीं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के निरीक्षण में इनमें दो में उत्पादन मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। ऐसे में इनका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। अब केवल एक कंपनी वैक्सीन बना रही है। पर यह अकेले डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं दे पा रही है।
कैमिस्ट बोले
कैमिस्ट एसोसिएशन महानगर देहरादून के पूर्व अध्यक्ष टीएस अग्रवाल का कहना है कि एंटी रैबीज वैक्सीन की किल्लत बनी हुई है। पिछले काफी वक्त से वैक्सीन की सप्लाई नहीं आ रही। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। किसी के पास अगर वैक्सीन बची हुई है, तो काम चल पा रहा है।
विभाग की परेशानी स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक भंडारण मनु जैन के अनुसार एंटी रैबीज वैक्सीन की पिछले तीन माह से आपूर्ति नहीं हुई है। कंपनी डिमांड के मुताबिक आपूर्ति नहीं कर पा रही है। वर्तमान में विभाग के पास सीमित स्टॉक है। ऐसे में अस्पतालों की डिमांड पूरी करने में दिक्कत आ रही है। प्रयास किया जा रहा है कि इस समस्या को दूर किया जाए।
बिना वैक्सीन जान सांसत में किसी भी व्यक्ति को कुत्ते ने काट लिया है तो उसके लिए जरूरी है कि वह 72 घंटे के अंतराल में एंटी रैबीज वैक्सीन का अवश्य ही लगवा ले। इंजेक्शन नहीं लगवाने पर व्यक्ति रैबीज की चपेट में आ सकता है। वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य के अनुसार पहला इंजेक्शन 72 घंटे के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद व पांचवा 28 दिन के बाद लगाया जाता है। पांचवा इंजेक्शन चिकित्सक की सलाह से ही लगाया जाता है। बाजार में एक वाइल की कीमत 330 रुपये होने के चलते गरीब तबका इसे खरीद पाने में असमर्थ है। ऐसे में ज्यादातर लोग सरकारी अस्पताल में ही इंजेक्शन लगाने आते हैं। कोर्स बीच में छोड़ देने पर बीमारी का खतरा बना रहता है।
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