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वेलनेस टूरिज्म के लिए मुफीद है उत्तराखंड की वादियां, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड की वादियों में वेलनेस टूरिज्म की संभावनाओं ने उम्मीद के द्वार खोले हैं। वजह ये कि योग-ध्यान स्पॉ पंचकर्म समेत प्राकृतिक उपचार के लिए लोग यहां का रुख करते आए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 18 May 2020 09:29 AM (IST)
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वेलनेस टूरिज्म के लिए मुफीद है उत्तराखंड की वादियां, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, केदार दत्त। बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड की आर्थिकी की अहम कड़ी पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह ठप हैं तो चारधाम यात्रा शुरू होने के भी फिलहाल आसार नहीं दिख रहे। ऐसे में शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करते हुए उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में वेलनेस टूरिज्म की संभावनाओं ने उम्मीद के द्वार खोले हैं। वजह ये कि योग-ध्यान, स्पॉ, पंचकर्म समेत प्राकृतिक उपचार के लिए पूर्व में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड की वादियों का रुख करते आए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में कम लोगों की आवक और ज्यादा आय की संभावनाएं वेलनेस टूरिज्म में देखी जा रही हैं। इसे देखते हुए सरकार भी इस दिशा में मंथन में जुटी हुई है।

उत्तराखंड की आर्थिकी में पर्यटन का बड़ा योगदान है। हर साल औसतन यहां आने वाले 3.5 करोड़ लोगों की संख्या इसकी तस्दीक करती है। पर्यटन में भी 44.2 फीसद की भागीदारी तीर्थयात्रियों की है। वर्तमान में कोरोना संकट के कारण पर्यटन के साथ ही तीर्थाटन से जुड़ी सभी गतिविधियां बंद हैं तो इससे यहां की आर्थिकी पर भी असर पड़ा है। इसे देखते हुए पर्यटन के ऐेसे विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसमें शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए कम संख्या में लोग आएं और आय भी अधिक हो। इस लिहाज से राज्य में वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने को मुफीद माना जा रहा है।

वैसे भी लॉकडाउन से पहले तक बड़ी संख्या में सैलानी वेलनेस टूरिज्म के लिए उत्तराखंड आते रहे हैं। खासकर, ऋषिकेश तो वेलनेस सेंटर के बड़े हब के रूप में उभरा है। न सिर्फ ऋषिकेश बल्कि इसके नजदीकी मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, हरिद्वार के अलावा उत्तरकाशी, टिहरी समेत अन्य क्षेत्रों में काफी संख्या में योग-ध्यान केंद्र, स्पा केंद्र, पंचकर्म सेंटर खुले हैं। इसके साथ ही कई नामी होटलों ने अपने यहां स्पॉ-पंचकर्म की गतिविधियां शुरू की हैं और यह भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देवभूमि में ईको स्प्रिचुअल जोन बनाने के आह्वान के बाद तो प्रदेश में वेलनेस टूरिज्म को आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ। अब जबकि बदली परिस्थितियों में कोरोना से बचाव के मद्देनजर कहीं भी भीड़ पर नियंत्रण रखा जाना है तो इस लिहाज से वेलनेस टूरिज्म को एक बड़ी संभावना के रूप में देखा जा रहा है।

राज्य के प्रमुख वेलनेस सेंटर

  • क्षेत्र---------------योग-ध्यान केंद्र---------------स्पा---------------पंचकर्म
  • ऋषिकेश------------35---------------------------05---------------15
  • हरिद्वार------------32---------------------------05---------------15
  • मुनिकीरेती---------30----------------------------08---------------10
  • लक्ष्मणझूला--------24---------------------------05---------------02
  • टिहरी--------------15-----------------------------10---------------04
  • पौड़ी----------------12-----------------------------05---------------00
  • चमोली--------------05-----------------------------00---------------00
  • उत्तरकाशी----------01-----------------------------00---------------03
  • अल्मोड़ा-------------04-----------------------------00---------------03
  • चंपावत--------------06-----------------------------00---------------01  
वेलनेस टूरिज्म देता है सुकून

मौजूदा दौर की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक थकावट और कार्य के अतिरिक्त  बोझ से परेशान लोग तमाम रोगों से ग्रसित हो रहे हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से वे योग-ध्यान, पंचकर्मा, स्पा और आयुर्वेदिक उपचार के लिए सुरम्य वादियों में आना अधिक पसंद करते हैं। इससे जहां प्रकृति की वादियों में आने वाले लोग सुकून महसूस करते हैं, वहीं संबंधित क्षेत्र की आर्थिकी में भी यह वेलनेस टूरिज्म योगदान देता है।

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दिलीप जावलकर (सचिव पर्यटन) का कहना है कि वेलनेस टूरिज्म बेहतर संभावनाओं वाला क्षेत्र है। इसे बढ़ावा देने के मद्देनजर ही फरवरी में वेलनेस समिट होना था, मगर कोरोना संकट के कारण इसे टालना पड़ा। वेलनेस टूरिज्म में लोगों की संख्या सीमित होती है और यह हाई पेइंग पर्यटन है। बदली परिस्थितियों में यह बेहतर विकल्प हो सकता है और इस पर विचार भी चल रहा है।

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