उत्तराखंड में आग की दृष्टि से 1360 वन बीट संवेदनशील, अध्ययन में सामने आई बात
Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड के जंगलों में हुई अग्नि दुर्घटनाओं के आधार पर अध्ययन कराया गया तो उसमें इस बात का पता चला कि यहां की कुल 2094 वन बीट में से 1360 संवेदनशील श्रेणी में आती हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 20 Feb 2022 09:48 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही उत्तराखंड में भी मौसम अब धीरे-धीरे ग्रीष्मकाल की तरफ कदम बढ़ाने लगा है। इसके साथ ही जंगलों की आग से सुरक्षा को लेकर शंका-आशंका के बादल घर करने लगे हैं। विशेषकर, वन विभाग के अधिकारियों के माथों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। यह स्वाभाविक भी है। विभाग ने पिछले 10 वर्षों के दौरान जंगलों में हुई अग्नि दुर्घटनाओं के आधार पर अध्ययन कराया तो बात सामने आई कि कुल 2094 वन बीट में से 1360 संवेदनशील श्रेणी में हैं। इनमें 115 अति संवेदनशील, 972 मध्यम संवेदनशील और 273 संवेदनशील हैं। यद्यपि, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि वन बीटों में आग की रोकथाम के मद्देनजर तैयारी पूरी है।
उत्तराखंड में वन विभाग ने प्रशासन एवं प्रबंधन की दृष्टि से संपूर्ण वन क्षेत्र को 2094 बीट में विभक्त किया है। बीट वन प्रबंधन के दृष्टिकोण से जमीनी इकाई है। जंगल में अग्नि अथवा अन्य कोई घटना, दुर्घटना होने पर बीट स्तर के वनकर्मियों पर ही पूरा दारोमदार रहता है। इसे देखते हुए ही विभाग ने जंगल की आग के दृष्टिगत पिछले अनुभवों के आधार पर बीट स्तर की स्थिति का अध्ययन कराया।वनाग्नि और आपदा प्रबंधन के मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा, अग्निकाल में जंगलों को आग से बचाने के लिए वन बीट की संवेदनशीलता के हिसाब से रणनीति तैयार की गई है। अति, मध्यम व कम संवेदनशील बीट के हिसाब से वन कर्मियों की तैनाती की जा रही है। साथ ही फायर वाचर भी इन बीट में बढ़ाए जाएंगे। संवेदनशील बीट में जरूरत के हिसाब से आवश्यक उपकरण समेत अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही नियंत्रित फुकान (कंट्रोल बर्निंग) का क्रम भी शुरू किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों व वन पंचायतों का सक्रिय सहयोग अग्निकाल में लिया जाएगा।
विभागीय ढांचाइकाई, संख्या
वृत्त, 11प्रभाग, 44रेंज, 290बीट, 2094यह भी पढें- उत्तराखंड में हर साल औसतन सुलग रहा 1978 हेक्टेयर वन क्षेत्र, 12 साल में हो चुकी हैं इतनी घटनाएं
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