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Uttarakhand Forest Fire: वनाग्नि आपदा प्रबंधन टोल फ्री नंबर पर आ रहे कृषि और लोन की जानकारी के फोन, कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी परेशान

Uttarakhand Forest Fire एक नवंबर से वन विभाग आग की घटनाओं की निगरानी में जुटा था। 31 मार्च तक स्थिति नियंत्रण में थी मगर अप्रैल का महीना शुरू होते ही घटनाएं बढ़ती चली गईं। 26 अप्रैल तक 689.89 हेक्टेयर जंगल लाल लपटों की चपेट में आ चुका है। जंगल में लगी आग की सूचना वन विभाग तक पहुंचाने के लिए वन मुख्यालय में राज्य वनाग्नि आपदा प्रबंधन कक्ष बनाया है।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 27 Apr 2024 10:50 AM (IST)
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Uttarakhand Forest Fire: जंगलों में लगी आग को काबू करना चुनौती बन गया।
गोविंद बिष्ट, जागरण हल्द्वानी : Uttarakhand Forest Fire: राज्य के जंगलों में आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। 26 अप्रैल तक 689.89 हेक्टेयर जंगल लाल लपटों की चपेट में आ चुका है। जंगल में लगी आग की सूचना वन विभाग तक पहुंचाने के लिए वन मुख्यालय में राज्य वनाग्नि आपदा प्रबंधन कक्ष बनाया है।

यहां कंट्रोल रूम में मौजूद टीम राज्य भर से आने वाली सूचनाओं को एकत्र करती है, ताकि संबंधित क्षेत्र में समय से पहुंचाया जा सके। लेकिन टोल फ्री नंबर पर पंजाब, बिहार और राजस्थान तक से लोग फोन कर रहे हैं। इन लोगों में से कोई कृषि योजना से जुड़ी जानकारी मांग रहा है तो किसी को लोन लेने की प्रक्रिया पता करनी है। इनके चक्कर में कई बार टोल फ्री नंबर भी व्यस्त हो जाता है।

31 मार्च तक नियंत्रण में थी स्थिति

एक नवंबर से वन विभाग आग की घटनाओं की निगरानी में जुटा था। 31 मार्च तक स्थिति नियंत्रण में थी, मगर अप्रैल का महीना शुरू होते ही घटनाएं बढ़ती चली गईं। मैदान से लेकर पर्वतीय क्षेत्र में मामले सामने आए। पहाड़ के जंगलों में लगी आग को काबू करना चुनौती बन गया।

टोल फ्री नंबर जारी

वहीं, राज्य भर से आग से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए 18001804141 टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। टोल फ्री नंबर मिलाने पर पता चला कि रोजाना करीब 50 से अधिक फोन आते हैं।

राजस्थान, पंजाब और बिहार के अलावा देश के अन्य हिस्सों से भी लोग संपर्क करते हैं, जिसके बाद सरकारी योजनाओं से लेकर लोन से जुड़ी जानकारी मांगने लगते हैं। ऐसे में कर्मचारी भी असमंजस में आ जाते हैं, जबकि आग से जुड़ी सूचना देने पर कंट्रोल रूम से संबंधित डिवीजन व रेंज को तुरंत संदेश भेज दिया जाता है।

कुमाऊं में 395 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। गढ़वाल में एक नवंबर से अब तक 211 घटनाओं में 234.45 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। वन्यजीव विहार वाले क्षेत्र के 51 मामलों में 59.52 हेक्टेयर नुकसान हुआ, मगर कुमाऊं की स्थिति ज्यादा खराब नजर आ रही है। यहां आग की 313 घटनाओं में 395.92 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।

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