Uttarakhand: बाघों से जंगल हुआ ओवरलोड, इंसानों के बीच पहुंच रहे गुलदार; बेबस वन विभाग
Uttarakhand इन दिनों उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिल रहा है। कुमाऊं में बाघ और गुलदार के आतंक से आम जनता दहशत में हैं। कल मां के सामने खेलते हुए एक चार साल के बच्चे को गुलदार उठा ले गया। बाघ और गुलदारों के आतंक से लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में वन विभाग बेबस नजर आ रहा है।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी। कुमाऊं में तराई-भाबर के जंगल बाघों के आशियाने के लिए जाने जाते हैं। पहाड़ पर हमेशा गुलदार की मौजूदगी और आतंक देखने को मिलता था, मगर भीमताल में बाघ की सक्रियता और तीन में से दो मौतों में उसके ही हमले की पुष्टि ने वन विभाग को चिंता में डाल दिया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि वृद्ध जागेश्वर और बिनसर वन्यजीव अभयारण्य तक दिसंबर में बाघ को देखा गया है। जबकि यह क्षेत्र बांज वन यानी ठंडे इलाकों वाला माना जाता है। जो कि बाघ के लिए बेहतर वास स्थल नहीं माना जाता।
जंगलों से निकल बाहर आ रहे हैं बाघ
बाघों की ज्यादा संख्या नैनीताल व उधम सिंह नगर जिले से सटे जंगलों में है। रामनगर स्थित कार्बेट पार्क के बाघ अलग से हैं। लगातार हो रही घटनाओं से साफ पता चलता है कि बाघों के लिए मैदानी जंगल में जगह कम पड़ रही है। मजबूरी में ये पहाड़ की तरफ मूवमेंट कर रहे हैं और इनकी डर से गुलदार आबादी की तरफ आ रहे हैं।बेबस है वन विभाग
एक और बाघ और गुलदार का आतंक हैं तो दूसरी तरफ वन विभाग हमेशा की तरह बेबस है। उसके पास समस्या का ठोस समाधान नहीं है। हल्द्वानी में करीब दस आबादी क्षेत्रों में इन दिनों गुलदार की मौजूदगी है। मवेशियों पर हमला करने और घरों के आंगन में घूमते हुए इनके वीडियो सीसीटीवी में कैद हो चुके हैं। इसके अलावा अल्मोड़ा से 40 किमी दूर तक ठंडे जंगलों में बाघ नजर आ चुके हैं।
इन आठ राज्यों से ज्यादा बाघ
जुलाई में देश के अलग-अलग राज्यों में बाघ गणना के आंकड़े सार्वजनिक हुए थे। वेस्टर्न सर्किल के तहत आने वाली पांच डिवीजनों में 216 बाघ मिले थे। जबकि देश के आठ राज्यों बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और अरुणाचल में 190 बाघों का ठिकाना मिला। बात कार्बेट पार्क की करें तो यहां 260 बाघ हैं। यानी कुमाऊं के निचले क्षेत्र में ही 476 बाघ हैं।कार्बेट में सफारी का शोर बाघों को परेशान कर रहा
हिमाचल के सेवानिवृत्त प्रमुख वन संरक्षक हल्द्वानी निवासी बीडी सुयाल का कहना है कि कार्बेट में लगातार सफारियों की संख्या बढ़ रही है। यह क्षेत्र बाघों का प्राकृतिक वास स्थल है। वाहनों के बढ़ते शोर के कारण बाघों को घर पर ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिस वजह से वह बाहर निकल दूसरे क्षेत्रों को मूवमेंट कर रहे हैं और अपना व्यवहार बदल रहे हैं।
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निश्चित तौर पर बाघों का संख्या बल तो बढ़ा है। पहले पहाड़ पर इनकी उपस्थिति नहीं थी। भीमताल क्षेत्र में हुई घटनाओं को लेकर सर्किल की सभी डिवीजनों से स्टाफ भेजा गया था। पिंजरा व संसाधन भी मुहैया करवाए गए। दीप चंद्र आर्य, वन संरक्षक वेस्टर्न सर्किलअब तक बाघ ने इनको बनाया शिकार
- छह दिसंबर को रामनगर के पटरानी गांव निवासी अनीता को बाघ ने मौत के घाट उतारा था।
- सात दिसंबर को भीमताल विधानसभा क्षेत्र के कसाइल तोक में बाघ ने इंद्रा देवी को मार दिया।
- नौ दिसंबर को भीमताल विधानसभा क्षेत्र के पिनरौ गांव में पुष्पा देवी बाघ के हमले में मारी गई।
- 19 दिसंबर को अलचौना की निकिता हमले में मारी गई। यहां बाघ-गुलदार को लेकर असमंजस।
- 24 दिसंबर को हल्द्वानी के हरिपुर जमन सिंह निवासी विनोद बिष्ट पर गुलदार का हमला।
- 26 दिसंबर को टनकपुर में गीता नाम की महिला पर बाघ का हमला। साथी महिलाओं ने बचाया।