उत्तराखंड को प्रदूषण से मिली राहत, बंगाल की तरफ बढ़ रही धुंध; पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड को फिलहाल वायु प्रदूषण से राहत दिख रही है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) की तरफ से मुहैया कराए गए सेटेलाइट के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 05 Nov 2019 07:57 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने से उत्तर भारत में गंभीर स्थिति में पहुंच चुके वायु प्रदूषण से उत्तराखंड को फिलहाल राहत दिख रही है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) की तरफ से मुहैया कराए गए सेटेलाइट के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा समेत समूचे उत्तर भारत में सोमवार को एरोसोल (सभी तरह के प्रदूषण कण) का घनत्व एक के आसपास पाया गया। दूसरी तरफ हवा का रुख बंगाल की खाड़ी की ओर होने से एरोसोल बड़ी मात्रा में इस पूरे क्षेत्र में जमा हो गई है।
यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने सेटेलाइट मैपिंग का विश्लेषण करते हुए बताया कि एरोसोल ऑप्टिकल डेनसिटी (एओडी) का अधिकतम स्तर चार है। उत्तराखंड में एओडी का स्तर शून्य से 0.25 पाया गया। यह स्तर भी सिर्फ देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर जैसे मैदानी क्षेत्रों में नजर आ रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा क्षेत्रों में अभी भी यह 0.25 से एक के बीच है। निदेशक के अनुसार पराली जलाने जो एरोसोल उत्पन्न हो रहा है, वह अब हवाओं के रुख के चलते बंगाल की खाड़ी में जाकर एकत्रित हो रहा है।
लिहाजा, वहां एओडी का घनत्व 02 से 04 तक पहुंच गया है। कुछ यही हालात खाड़ी से लगे और रूट पर पडऩे वाले भुवनेश्वर, बेल्लोर, खड़कपुर, भागलपुर, इलाहाबाद, पूर्णिया व धनबाद क्षेत्रों की भी है। थोड़ा राहत की बात यह है कि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगने के चलते सेटेलाइट का पूर्वानुमान बताता है कि पांच नवंबर को यह घनत्व बंगाल की खाड़ी में एक और छह नवंबर तक निम्न स्तर 0.25 तक आ जाएगा।
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सेटेलाइट मैप में बंगाल की खाड़ी से लेकर जिन क्षेत्रों में एरोसोल की मात्रा अधिक है, वहां इसे गहरे नारंगी रंग में दिखाया गया है। इसी तरह कम घनत्व वाले क्षेत्रों का रंग उतना ही हल्का नजर आ रहा है।
यह भी पढ़ें: मौसम का सितम: दून में धुंध से जल्द निजात मिलने की उम्मीद नहींउत्तराखंड में दो नवंबर को पर्वतीय क्षेत्रों तक दिखा असरसेटेलाइट मैपिंग के अनुसार दो नवंबर को प्रदूषण का स्तर चरम पर था। इसके चलते अलकनंदा व भागीरथी घाटी में भी इसका स्तर 0.25 के आसपास दिखा, जबकि यहां सामान्यत: घनत्व शून्य के स्तर पर रहता है।
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