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उत्तराखंड सरकार ने बिजली सुरक्षा व्यवस्था में किया बड़ा बदलाव, अब नहीं हो सकेगी अनदेखी; काम में आएगी तेजी

उत्तराखंड राज्य बने हुए 23 वर्ष से अधिक समय अवधि हो चुकी है। इस अवधि में अधिकतर सरकारी विभागों के ढांचे संशोधित अथवा पुनर्गठित हो चुके हैं। कई विभागों का ढांचा कई बार पुनर्गठित हो चुका है। यह अलग बात है कि विद्युत सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग की लंबे समय तक अनदेखी होती रही। संयुक्त यूपी के जमाने से जो विभागीय ढांचा लागू था अलग उत्तराखंड राज्य बनने...

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 25 Jun 2024 09:53 PM (IST)
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उत्तराखंड सरकार ने यूपी के जमाने से बनाए गए विद्युत सुरक्षा व्यवस्थाओं में किया बदलाव

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश के सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों एवं प्रतिष्ठानों में विद्युत सुरक्षा की अनदेखी अब नहीं की जा सकेगी। सरकार ने आखिरकार संयुक्त उत्तर प्रदेश के जमाने से उत्तराखंड को पांच जोन में बांटकर बनाए गए विद्युत सुरक्षा विभाग के ढांचे को पुनर्गठित कर दिया। अब 13 जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।

नए ढांचे के अस्तित्व में आने और पदों को भरने के बाद प्रदेश में विद्युत सुरक्षा के कार्यों व उपायों की जांच और अनुश्रवण में तेजी आ सकेगी।

23 वर्ष में अधिकतर सरकारी विभागों के ढांचे में हो चुके हैं संशोधन

उत्तराखंड राज्य बने हुए 23 वर्ष से अधिक समय अवधि हो चुकी है। इस अवधि में अधिकतर सरकारी विभागों के ढांचे संशोधित अथवा पुनर्गठित हो चुके हैं। कई विभागों का ढांचा कई बार पुनर्गठित हो चुका है। यह अलग बात है कि विद्युत सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग की लंबे समय तक अनदेखी होती रही।

संयुक्त उत्तर प्रदेश के जमाने से जो विभागीय ढांचा लागू था, अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उसमें अपेक्षा के अनुरूप परिवर्तन नहीं किया गया। पुरानी व्यवस्था के अनुसार उत्तराखंड को पांच जोन रुड़की, देहरादून, हल्द्वानी, गोपेश्वर और पिथौरागढ़ में बांटा गया था। राज्य बनने के बाद शहरीकरण तेजी से हुआ। सरकारी भवनों का हर जिले में विस्तार हुआ है।

विद्युत सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बरती गई लापरवाही

हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून में औद्योगीकरण ने भी गति पकड़ी। इसके बाद भी विद्युत सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लापरवाही बरती गई। विभाग के 65 सदस्यीय ढांचे में अधिकतर पद रिक्त रहे हैं। परिणामस्वरूप में चमोली जिले में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट दुर्घटना की नौबत आई। इस प्लांट में विद्युत सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था होती तो दुर्घटना को रोका जा सकता था।

20 जुलाई, 2023 को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट दुर्घटना के दृष्टिगत विद्युत सुरक्षा विभाग के पुनर्गठन की आवश्यकता महसूस की गई। दुर्घटना से सबक लेकर अब सभी सरकारी भवनों, विद्यालयों एवं प्रतिष्ठानों में विद्युत सुरक्षा की नियमित जांच को अनिवार्य किया गया है। निर्माण कार्यों से जुड़ी कार्यदायी संस्थाओं को भी भवनों व प्रतिष्ठानों में विद्युत सुरक्षा की अनिवार्य व्यवस्था करनी पड़ेगी।

पुराने ढांचे की तुलना में बढ़ाए गए 15 पद

विद्युत सुरक्षा के लिए बनाई गई व्यवस्था का नियमित अनुश्रवण भी सरकार ने अनिवार्य कर दिया है। इसे ध्यान में रखकर अब राज्य को जोन में नहीं, बल्कि जिलों के आधार पर विद्युत सुरक्षा विभाग का ढांचा तय किया गया है। पुराने ढांचे की तुलना में 15 पद बढ़ाए गए हैं। कुल पदों की संख्या अब 80 हो गई है।

नए ढांचे में जिलों की श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। श्रेणी-एक में देहरादून व नैनीताल जिले सम्मिलित किए गए हैं। श्रेणी-दो में ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार जिलों को रखा गया है। श्रेणी-तीन में शेष जिले हैं। इस ढांचे में सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता के साथ ही लिपिक वर्ग और लेखाकार श्रेणी के पद बढ़ाए गए हैं।

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