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सौर ऊर्जा से चमकेंगे उत्तराखंड के गांव, ग्रामीण बिजली बेचकर सुधारेंगे जीवन स्तर

पलायन से जूझ रहे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र अब सोलर ऊर्जा से चमकेंगे। साथ ही ग्रामीण बिजली बेचकर अपना जीवन स्तर भी सुधार सकेंगे।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 22 Jun 2019 08:09 PM (IST)
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सौर ऊर्जा से चमकेंगे उत्तराखंड के गांव, ग्रामीण बिजली बेचकर सुधारेंगे जीवन स्तर
देहरादून, गौरव ममगाईं। पलायन से जूझ रहे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सोलर एनर्जी बेहतर आय का साधन साबित हो सकती है। इस महत्वाकांक्षी योजना को धरातल में उतारने के लिए उरेडा ने कवायद तेज कर दी है। उरेडा की ओर से मांगे आवेदन पर 237 लोगों ने सोलर प्लांट लगाने की इच्छा जताई है। इनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 177 मेगावाट है। अब उरेडा ने आवेदनों पर तकनीकी परीक्षण शुरू कर दिया है। जो आवेदन मानकों पर खरे उतरेंगे, उनके लिए सोलर प्लांट लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके लिए 15 जुलाई तक का समय रखा है।

उरेडा (उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) ने पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सोलर पावर प्लांट स्कीम शुरू की है। इसमें न्यूनतम 100 किलोवाट व अधिकतम पांच मेगावाट का प्लांट लगाया जा सकता है। योजना में 200 मेगावाट की सोलर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसके सापेक्ष 177 मेगावाट के कुल 237 आवेदन प्राप्त हुए हैं। 

इनमें उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व अन्य जिले शामिल हैं। अब विभागीय टीम ने इन आवेदनकर्ताओं के क्षेत्र का भौतिक सत्यापन व आवश्यक अर्हताओं की जांच करेगी। अगले एक सप्ताह के भीतर तकनीकी परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। 

योजना के तहत जिनके आवेदन स्वीकृत होंगे, उन्हें अपने खेतों पर सोलर प्लांट लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके बाद सोलर ऊर्जा का उत्पादन बिजली का उत्पादन शुरू होगा। इस बिजली को यूपीसीएल खरीदेगा।25 साल का होगा पीपीए

दरअसल, प्लांट लगाने वाले लोगों का यूपीसीएल के साथ पावर पर्चेस एग्र्रीमेंट (पीपीए) होगा, जिसकी समयसीमा 25 साल निर्धारित होगी। यूपीसीएल बाजार की दर से बिजली खरीदेगा।  

ये होगी लागत

न्यूनतम 100 केवी का सोलर प्लांट  लगाने में करीब 40 लाख रुपये की लागत आएगी, लेकिन इसमें एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) की ओर से 30 फीसद अनुदान दिया जाएगा। यानि 28 लाख रुपये भुगतान करने होंगे। 

ऐसे ही अधिकतम पांच मेगावाट का प्लांट लगाने में करीब चार करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसमें 30 फीसद अनुदान मिलने के बाद शेष दो करोड़ 80 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। 

ये होंगे लाभ

-200 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होने से प्रदेश को करीब 600 करोड़ रुपये का लाभ।

-ग्र्रीन एनर्जी की दिशा में बड़ी सफलता।

-पहाड़ों में आय के साधन का सृजन।

-सोलर से बिजली उत्पादन होने से लोगों को रोजगार मिलेगा, पलायन पर रोक लगेगी। 

पलायन पर लगेगी लगाम 

रेडा के मुख्य परियोजना अधिकारी अरूण त्यागी के अनुसार, सोलर प्लांट स्कीम से पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन पर लगाम लगेगी। योजना में 237 आवेदन आए हैं, जिनका तकनीकी परीक्षण शुरू किया जा रहा है। इसमें लोग सौर ऊर्जा का उत्पादन कर यूपीसीएल को बेच सकेंगे। 

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