मुख्यमंत्री बोले, एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए उत्तराखंड है तैयार
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव देशहित में है। सभी राज्य सरकारों को पार्टी हित छोड़ राष्ट्रहित में एक राय बनानी चाहिए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 09 Dec 2018 08:07 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’देशहित में है। सभी राज्य सरकारों को पार्टी हित छोड़ राष्ट्रहित में एक राय बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पूरी तरह से इसकी पक्षधर है और इस बार प्रदेश के कॉलेज व विश्वविद्यालयों में एक दिन चुनावों काआयोजन भी इसी का प्रयोग था, जो पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने हिमालय व गंगा नदी के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि हर जनमानस को गंगा को बचाने में सामूहिक योगदान देने होगा।
पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से शनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया गया।पहले दिन कार्यक्रम की शुरुआत मांगल गीत से हुई, इसके बाद कलाकारों ने उत्तराखंड की नंदा राजजात यात्र की शानदार प्रस्तुति दी। मां की डोली का आशीर्वाद पाकर हर कोई अभिभूत हुआ। मुख्य अतिथि सीएम रावत ने कहा कि आज गंगा के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है, बल्कि जरूरी है कि हम जल के हर आशय को स्वच्छ रखने में योगदान दें। चाहे उसमें नदी, तालाब, कुआं हो या फिर नाला। जिस दिन आमजन यह अवधारणा अपनाएगा, गंगा क्या हर नदी, नाले स्वच्छ होंगे।
सीएम ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए आज से नहीं, बल्कि 1990 से प्रयास जारी हैं, लेकिन हर प्रदेश सरकार सहमति देने में हिचकती हैं। सभी को सोचना होगा कि इससे न सिर्फ देश पर चुनावों के नाम पर पड़ने वाला अतिरिक्त खर्च का बोझ कम होगा, बल्कि सरकारें निर्णय लेने में भी सक्षम होंगी। अलग-अलग चुनावों के अनुसार उन्हें निर्णय संबंधी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस अवसर पर संस्था की ओर से पर्यटन-लेखन पुस्तक व कैलेंडर का विमोचन किया गया। इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल, एचआइएचटी के वाइस चांसलर डॉ. विजय धस्माना, पीआरएसआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक, दिलीप चौहान, निवेदिता बनर्जी, विमल डबराल समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
12 लाख ईवीएम की पड़ेगी जरूरतवरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भी एक राष्ट्र-एक चुनाव की पैरवी की। उन्होंने एक निर्वाचन अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि अगर यह व्यवस्था देश में लागू होती है तो करीब 32 लाख ईवीएम की जरूरत पड़ेगी। जबकि वर्तमान में देश में करीब 20 लाख यूनिट उपलब्ध हैं।
70 संस्थाओं का सम्मानकॉन्फ्रेस में 25 राज्यों के जन संपर्क अधिकारियों ने हिस्सा लिया। जन संपर्क के क्षेत्र में 21 श्रेणियों में 70 संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया।
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