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पहाड़ों के 'सूखे' खेतों को मिलेगी संजीवनी, आठ जिलों के लिए उत्‍तराखंड सरकार ने की प्‍लानिंग

Uttarakhand News उत्तराखंड के पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि को नई संजीवनी मिलने जा रही है। उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के तहत आठ पर्वतीय जिलों की 519 ग्राम पंचायतों में शक्तिशाली नवीन कृषि प्रणाली से खेती को जीवंत किया जाएगा। इस परियोजना से 3.7 लाख से अधिक लोगों को लाभ होगा। जल स्रोतों में जल उपलब्धता के लिए स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट प्लान पर भी कार्य किया जाएगा।

By Vijay joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 09 Oct 2024 12:45 PM (IST)
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Uttarakhand News: आठ जिलों के लिए उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना का किया गया शुभारंभ

जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand News: जलवायु परिवर्तन से प्रभावित उत्तराखंड के पहाड़ आपदा का दंश झेल रहे हैं। यहां बदलते परिवेश से सर्वाधिक प्रभाव खेती-किसानी पर पड़ा है। वर्षा आधारित खेती का अस्तित्व खतरे में है। जिसे बचाने के लिए व्यापक प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।

जलागम प्रबंधन विभाग की ओर से प्रदेश में जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना की शुरुआत की गई है। जिससे आठ पर्वतीय जिलों के 519 ग्राम पंचायतों में शक्तिशाली नवीन कृषि प्रणाली से खेती को जीवंत किया जाएगा। जल स्रोतों में जल उपलब्धता के लिए स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट प्लान पर भी कार्य किया जाएगा।

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जलवायु परिवर्तन से खासा प्रभावित हो रहा है उत्तराखंड

जलागम प्रबंधन विभाग की ओर से आइसीएफआरई आडिटोरियम एफआरआइ में आयोजित उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना कार्यशाला का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड जलवायु परिवर्तन से खासा प्रभावित हो रहा है।

प्रदेश में वर्षा आधारित पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि, तापमान में बढ़ोतरी और पानी की उपलब्धता में कमी आ रही है। जिससे पहाड़ों में फसलों की उत्पादकता प्रभावित हुई है। उत्तराखंड के चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायक व ग्रीन हाउस गैस न्यूनीकरण के लिए सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली उत्पादन प्रणाली विकसित की जा रही है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि विश्व बैंक पोषित उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना शुरू की जा रही है। इस कार्य के लिए उत्तराखंड का चुनाव करने पर उन्होंने केंद्र सरकार व विश्व बैंक का आभार व्यक्त किया। करीब 11 सौ करोड़ की लागत की छह वर्षीय यह परियोजना चयनित आठ पर्वतीय जनपदों में संचालित होगी। इस परियोजना से 519 ग्राम पंचायतों की कुल 3.7 लाख जनसंख्या को लाभ मिलेगा।

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जलवायु अनुकूल व्यवसायिक कृषि पद्धतियों को अपनाने से कृषकों की आय में वृद्धि होगी और परियोजना क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से बंजर हो चुकी कृषि भूमि को पुनः उत्पादक बनाने के लिए विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे जाएगे।

इस अवसर पर कैंट विधायक सविता कपूर, जलागम के मुख्य परियोजना निदेशक आनंद बर्द्धन, परियोजना निदेशक नीना ग्रेवाल, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल, विश्व बैंक टास्क टीम लीडर रंजन सामंत्रे, पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक राजीव नाथ त्रिपाठी, डा. रेनू सिंह, डा. एके नायक, प्रोफेसर सुमित सेन, डा. एमके वर्मा, प्रोफेसर शेखर मुद्दू आदि ने भी पहाड़ों में खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने पर फोकस

यह पहली ऐसी परियोजना है, जो जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों को विकसित कर धरातल पर उतारा जाएगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से प्रदेश में जो जल स्रोत सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं।

जल स्रोतों में जल उपलब्धता में वृद्धि व उनके सतत प्रबंधन के लिए स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट प्लान की अवधारणा के अनुरूप कार्य किया जाएगा। बरानी कृषि परियोजना की महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संस्थान कंसोर्टियम पार्टनर्स के रूप में उत्तराखंड से जुड़ेंगे और इन संस्थाओं के विज्ञानियों की तकनीक का प्रयोग खेती के विकास को किया जाएगा।

अगस्त में केंद्र से मिली स्वीकृति

उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना को अगस्त में केंद्र सरकार ने स्वीकृत किया था। जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी केंद्र का आभार व्यक्ति करते हुए कहा इस परियोजना से कृषकों की आय में वृद्धि, फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, पौधारोपण एवं मृदा अपरदन रोकथाम जैसे विभिन्न कार्य किए जाएंगे।

साथ ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च मूल्य फसल उत्पादन के कृषि क्लस्टरों एवं एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर की स्थापना भी की जाएगी। शुष्कभूमि कृषि या बारानी खेती सिंचाई किए बिना ही कृषि करने की तकनीक है। उत्तराखंड के 13 में से आठ जिलों में मुख्यत: बारानी कृषि ही की जाती है।

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