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उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त होगा या नहीं, पायलट प्रोजेक्ट से होगा तय; 64 साल बाद हो सकता है बदलाव

उत्तराखंड में 64 साल बाद फिर से भूमि बंदोबस्त हो सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार ने दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। चार शहरों और पांच गांवों में सफलता के बाद ही पूरे प्रदेश में भूमि बंदोबस्त होगा। इस प्रोजेक्ट से भूमि बंदोबस्त में आने वाली बाधाओं का भी पता चलेगा। भूमि बंदोबस्त होने से सभी रिकॉर्ड डिजिटाइज हो जाएगा। इससे जमीन मालि‍कों के नाम में छेड़छाड़ नहीं पाएगा।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 10 Oct 2024 10:25 AM (IST)
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उत्तराखंड में 64 साल बाद भूमि बंदोबस्त हो सकता है। जागरण

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त नए सिरे से हो सकेगा, इसका पूरा दायित्व दो पायलट प्रोजेक्ट पर टिका है। चार शहरों और पांच गांवों में नए सिरे से होने वाले भूमि बंदोबस्त की सफलता देखने के बाद ही केंद्र सरकार पूरे प्रदेश में इसके क्रियान्वयन के संबंध में निर्णय लेगी।

पायलट प्रोजेक्ट से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि भूमि बंदोबस्त की राह में किस प्रकार की बाधाएं आ रही हैं। इसके अनुसार ही भू अभिलेखों को डिजिटाइज किया जाएगा। इसका बड़ा लाभ यह भी होगा कि प्रदेश में पुराने अभिलेखों से छेड़छाड़ संभव नहीं होगी।

उत्तराखंड में लगभग 64 वर्षों से भूमि बंदोबस्त नहीं हुआ है। बहुत पुराने अभिलेखों के कारण भूमि की खरीद और बिक्री में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर गोल खातों में ही भूमि बंदाेबस्त चल रहा है।

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प्रदेश सरकार को यह अवसर मिला है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 1960 के बाद भूमि बंदोबस्त दोबारा किया जा सके। केंद्र सरकार ने शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को दुरुस्त करने के लिए दो पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ किए हैं।

भूमि बंदोबस्‍त होने से फर्जीवाड़ा पर रोक लगेगी। जागरण

केंद्र सरकार ने अर्बन लैंड रिकार्ड डिजिटाइजेशन प्रोजेक्ट के अंतर्गत देशभर में चयनित 400 शहरों में उत्तराखंड के चार शहर चिह्नित किए गए हैं। इस योजना में अधिकतर छोटे शहरों को चुना गया है, ताकि बड़े स्तर पर यानी प्रदेश स्तर पर इसे प्रारंभ करने की स्थिति में भूमि बंदोबस्त में आने वाली समस्त बाधाओं की जानकारी मिल सके। चार नगर पालिका परिषदों नरेंद्रनगर, भगवानपुर, अल्मोड़ा और किच्छा में यह पायलट प्रोजेक्ट प्रारंभ किया जा रहा है।

राजस्व सचिव एसएन पांडेय ने बताया कि राजस्व विभाग और शहरी विकास विभाग सर्वे आफ इंडिया की सहायता से इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहरों का सर्वेक्षण करेंगे। सर्वे में शहरी क्षेत्रों में भूमि और परिसंपत्तियों का नया और और अद्यतन रिकार्ड तैयार किया जाएगा।

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वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पायलट प्रोजेक्ट में गंगा क्षेत्र के किनारे के पांच गांवों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इन गांवों में भूमि बंदोबस्त का प्राथमिक मानचित्र सर्वे आफ इंडिया के पास है। ग्रामीण और शहरों में चिह्नित स्थलों पर भूमि बंदोबस्त का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो पूरे प्रदेश में भूमि बंदोबस्त के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता का रास्ता साफ हो सकता है। प्रदेश सरकार इसी कारण इन दोनों प्राेजेक्ट को लेकर गंभीर है।

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