Uttarakhand Lockdoown: लॉकडाउन से पढ़ाई हुई प्रभावित, रोजगार के अवसरों पर भी चोट
लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर दिया है। देश में संक्रमण ऐसे समय गहराया जब स्कूल से लेकर विवि परीक्षा की तैयारी में जुटे थे।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 08 Apr 2020 08:41 PM (IST)
देहरादून, अशोक केडियाल। कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर दिया है। देश में संक्रमण ऐसे समय गहराया, जब स्कूल से लेकर विवि परीक्षा की तैयारी में जुटे थे। लॉकडाउन होते ही परीक्षाएं लटक गईं। वहीं मार्च में होने वाले दाखिले भी नहीं हुए। अब सबकी नजरें मानव संसाधन विकास मंत्रलय पर टिकी हैं। मंत्रलय जो निर्णय लेगा, वह सभी संस्थाओं पर लागू होगा।
यह तो तय है कि इस बार सत्र लेट होगा, सरकार ग्रीष्मकालीन अवकाश में कटौती कर चालू शिक्षा सत्र को कुछ हद तक पटरी पर लाने की कोशिश कर सकती है। फिर भी विवि की परीक्षा, मूल्यांकन व परिणाम घोषित करने में समय लगने के कारण इस बार सत्र लेट हो सकता है। अब उन संस्थानों की कार्यशैली का सही अंदाजा लग पाएगा, जो अपने छात्रों की पढ़ाई को चिंतित रहते हैं। जिन संस्थानों का रिकार्ड पहले से खराब है, उनसे ज्यादा अपेक्षा भी नहीं है।
साझा ऑनलाइन पढ़ाई का महत्व
लॉकडाउन के कारण स्कूल, कॉलेज और विवि बंद हैं। कुछ निजी विवि ने तो परिसर बंद होते ही ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था कर दी, लेकिन कई संस्थानों को ऑनलाइन पढ़ाई के महत्व का पता तब चला, जब खुद ही वहां पढ़ने वाले छात्र प्रबंधन से ऑनलाइन पढ़ाई की डिमांड करने लगे। ऐसे संस्थानों ने आनन- फानन में शिक्षकों को यह काम सौंपा। जिसके बाद उन संस्थानों में भी ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। प्रदेश में उच्च शिक्षा ले रहे करीब दो लाख छात्र-छात्रएं लॉकडाउन के चलते घर से ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जिन छात्रों के पास घर में कंप्यूटर और इंटरनेट है, वह तो आसानी से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। समस्या उन छात्रों के सामने है, जो दूरदराज ग्रामीण इलाकों से हैं। जहां न बिजली रहती है और न इंटरनेट सुविधा है। ये छात्र ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे, मगर खुद अध्ययन में जुटे हैं।
छात्रों ने दिखाई सहयोग भावना
पढ़ाई के लिए घर से दूर किराये का कमरा लेकर पढ़ाई करने दून आए छात्र लॉकडाउन के चलते खासे परेशान हैं। पहले तो ये छात्र नियमित कक्षाओं से वंचित हैं। वहीं घर से बाहर भी आना-जाना नहीं कर पा रहे। ऐसे समय उनके सहपाठी ही सबसे बड़े हमदर्द बने हैं। प्रदेश के सबसे बड़े डीएवी कॉलेज में ही पांच हजार से अधिक छात्र प्रदेश के दूरस्थ इलाकों से यहां किराये का कमरा लेकर रहते हैं। उन्हें हर महीने घर से खर्च के लिए कुछ पैसा मिलता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण कई छात्रों को घर से पैसे नहीं आए। ऐसे में सहपाठी उनका सहारा बन रहे है। वह उन्हें भोजन से लेकर किताबों तक का प्रबंध कर रहे हैं। कई छात्र कमरे का किराया भी अपने दोस्तो से लेकर दे रहे हैं। लॉकडाउन से मिलने वाली मोहलत में अपने लिए पुस्तकों और नोट्स का प्रबंध कर रहे हैं।
रोजगार के अवसरों पर चोटकोरोना वायरस संक्रमण से न केवल आम जनजीवन प्रभावित है, बल्कि इससे आने वाले एक से दो वषों तक सरकारी व निजी क्षेत्र में भी नौकरी मिलने की संभावना बेहद कम होगी। ऐसे में एचआरडी मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उन कंपनियों से आह्वान किया, जिन्होंने अपनी कंपनी के लिए छात्रों का चयन कैंपस प्लेसमेंट के जरिये किया था। यह कंपनियों प्लेसमेंट से न मुकरें।
यह भी पढ़ें: Uttarakhand Lockdown: नए सत्र और बोर्ड परीक्षाओं को लेकर अभिभावक चिंतितकोरोना वायरस के कारण पैदा हुई आर्थिक सुस्ती को देखते छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट के दौरान दिए गए जॉब ऑफर कंपनियां वापस ले सकती हैं। इसकी चिंता भी छात्रों को सता रही है। छात्रों की चिंता से मंत्री ने न केवल खुद को जोड़ा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि सरकार उनके भविष्य को लेकर सजग है। अकेले देहरादून के दस निजी विश्वविद्यालय से हर साल एक से डेढ़ हजार छात्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए चुने जाते हैं। जिनमें ग्राफिक एरा विवि प्रमुख है।
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