Uttarakhand के 'मिनी स्विट्जरलैंड' में पर्यटकों के लिए नई सौगात, प्रकृति व आध्यात्म का संगम देगा खास अहसास
Uttarakhand Mini Switzerland उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में जाना जाने वाला चोपता हिल स्टेशन लगभग 2608 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल मंडल में स्थित है। यहां के पर्यटक स्थलों के अलावा प्रकृति प्रेमी जैव विविधता देखने के लिए भी पहुंचते हैं। जैव विविधता के इस खजाने को देखने के लिए प्रतिवर्ष देश- विदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: Uttarakhand Mini Switzerland: उत्तराखंड के 'मिनी स्विट्जरलैंड' के रूप में जाना जाने वाला चोपता लगभग 2,608 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल मंडल में स्थित है। यहां साल भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहा है। चोपता उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में शुमार है। यहां पर्यटक बुग्याल (मखमली घास के मैदानों) और बर्फ से ढकी चोटियों को देखने पहुंचते हैं।
यहां प्रकृति प्रेमी जैव विविधता देखने के लिए भी पहुंचते हैं। जैव विविधता के इस खजाने को देखने के लिए प्रतिवर्ष देश के कोने कोने से लोग आते हैं। इसी क्रम में अब यहां स्थित मंडल घाटी में रुद्राक्ष के पेड़ भी फलने फूलने लगे हैं। यह पर्यटकों के लिए नई सौगात है। चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 15 किमी दूर मंडल से चोपता का जंगल शुरू होता है। जिसमें बांज, बुरांस सहित अन्य प्रजाति के पेड़-पौधों हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र में रुद्राक्ष के जंगल को तैयार किए जाने की मुहिम रंग लाई है। वर्ष 2015 में मंडल क्षेत्र में रुद्राक्ष के पौध लगाए गए थे। इन पौधों का लगातार संरक्षण किया गया और अब यह पौध पेड़ के रूप में तैयार होकर फल देने लगे हैं। यात्री भी बांज-बुरांश के घने जंगल के साथ रुद्राक्ष के पेड़ों को देखकर आनंदित हो रहे हैं।
रुद्राक्ष का बाजार में भाव
रुद्राक्ष के पौध देहरादून नर्सरी से आते हैं। वहीं पर्यावरण शिक्षक मनोज तिवारी कलम तैयार कर पौध तैयार करते हैं। नेपाल से आने वाले प्रजाति के रुद्राक्ष के पौध सबसे बेहतर मानी जाती है। रुद्राक्ष की पौध का बाजार भाव तीन सौ से पांच सौ रुपये तक है। रुद्राक्ष का बाजार भाव भी हजारों में है। एक मुखी रुद्राक्ष दुलर्भ माना जाता है जिसका दाम अनमोल है। दो मुखी, तीन मुखी, पंच मुखी ,16 मुखी तक रुद्राक्ष के फल होते हैं।
भारत में कहां मिलता है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष भारत के हिमालयी प्रदेशों में पाए जाते हैं। असम, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्रा में रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं। रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है।
रुद्राक्ष बताकर बेचते हैं भद्राक्ष
रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रूप में बेचते हैं। माना जाता है कि भारत में बिकने वाले 80 फीसदी रुद्राक्ष फर्जी होते हैं और उन्हें तराश कर बनाया जाता है।
रुद्राक्ष की पौराणिक कथा
पौराणिक कथानुसार जब भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस के वध के लिए महाघोर रूपी अघोर अस्त्र का चिंतन किया। तब उनके नेत्रों से आंसुओं की कुछ बूंदे धरती पर गिरीं। इन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है।
एक मुखी से चौदह मुखी तक होता है रुद्राक्ष
वैसे तो रुद्राक्ष मुख्यतः एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाया जाता है, लेकिन कहीं-कहीं बाइस मुखी रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं, जिनको धारण करने का अलग-अलग फल प्राप्त होता है। आकार के अनुसार देखा जाए, तो धारण करने हेतु चने के आकार का रुद्राक्ष अधम, बेर के आकार का माध्यम तथा आंवला के आकार का उत्तम माना गया है।
रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना गया है। धारण करने लिए रुद्राक्ष हमेशा सुंदर, सुडौल, चिकना, कांटेदार और प्राकृतिक छिद्र से युक्त होना चाहिए। जो रुद्राक्ष कहीं से टूटा-फूटा और कृत्रिम छिद्र से युक्त हो, ऐसा रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
यह है आध्यात्मिक महत्व
रुद्राक्ष को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। शिव भक्त व साधु-संत रुद्राक्ष ग्रहण करने को पवित्र मानते हैं। रात में सोते समय रुद्राक्ष उतार कर सोना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राक्ष का पूजन और दान बहुत श्रेयस्कर माना गया है। रुद्राक्ष के दर्शन से पुण्य लाभ, स्पर्श से उसका सौ गुना पुण्य लाभ और धारण करने से करोड़ गुना पुण्य लाभ होता है और इसकी माला का मंत्र जप करने से करोड़ गुना पुण्य प्राप्त होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ
रुद्राक्ष को हमेशा ह्रदय के पास धारण करना चाहिए, इससे हृदय रोग, हृदय का कम्पन और ब्लड प्रेशर आदि रोगों में आराम मिलता है। सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ माना गया है। महाभागवत पुराण के अनुसार, जिस मनुष्य के घर में एक मुखी रुद्राक्ष होता है, उसके घर में लक्ष्मी सदैव स्थिर होकर निवास करती हैं।
ऐसे पहुंचें चोपता
- जॉली ग्रांट हवाई अड्डा चोपता का निकटतम हवाई अड्डा है जो 221 किमी की दूरी पर स्थित है। जॉलीग्रांट हवाई अड्डा दैनिक उड़ानों के साथ दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चोपता जॉलीग्रांट हवाई अड्डे से मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जॉलीग्रांट हवाई अड्डे से चोपता के लिए टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
- चोपता का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ऋषिकेश के लिए ट्रेनें लगातार हैं। ऋषिकेश से श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, उखीमठ और चोपता के लिए टैक्सियां और बसें उपलब्ध हैं।
- चोपता उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। चोपता के लिए बसें और टैक्सियां उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों जैसे ऋषिकेश, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, गौरीकुंड, श्रीनगर, गोपेश्वर आदि से आसानी से उपलब्ध हैं।
चोपता में कहां घूमें
- तुंगनाथ
- देवरिया ताल
- चंद्रशिला
- ऊखीमठ
- कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य
- मध्यमहेश्वर मंदिर
- रोहिणी बुग्याल
- दुगलबिट्टा
- ओंकार रत्नेश्वर महादेव
- सारी गांव
- कालीमठ मंदिर
- बिसुरिटल
- बनियाकुंड
मंडल घाटी में लगाए गए रुद्राक्ष के पौध पर इन दिनों रुद्राक्ष के फल लगे हैं। इन रुद्राक्ष के पेड़ों व फलों का पर्यटक व तीर्थयात्री भी दीदार कर रहे हैं। रुद्राक्ष के पेड़ों के संरक्षण की मुहिम रंग लाई है। मंडल घाटी क्षेत्र में अब रुद्राक्ष के जंगल तैयार किए जांएगे।
- मनोज तिवारी पर्यावरण कार्यकता व शिक्षक