Move to Jagran APP

राजनीतिक पार्टी के झंडे के नीचे खड़ी नहीं होगी मूल निवास, भू-कानून संघर्ष समिति; 26 नवंबर से भूख हड़ताल की चेतावनी

उत्तराखंड में मूल निवासियों और भू-कानूनों को लेकर संघर्ष तेज हो गया है। मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने भूमि से जुड़े काले कानूनों को रद नहीं किया तो 26 नवंबर से शहीद स्मारक में भूख हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। समिति का कहना है कि राज्य बनने के 24 वर्षों में राजनीतिक दलों ने जनता को धोखा दिया है।

By Sukant mamgain Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 22 Oct 2024 06:33 PM (IST)
Hero Image
राजनीतिक पार्टी के झंडे के नीचे खड़ी नहीं होगी- भू-कानून संघर्ष समिति। सौजन्य- फेसबुक

जागरण संवाददाता, देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने स्पष्ट किया कि जनता की बनाई संघर्ष समिति, मूल निवास और भू-कानून की लड़ाई मेंराजनीतिक दलों के झंडे के नीचे खड़ी नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि राज्य बनने के 24 वर्षों में राजनीतिक दलों ने जनता को धोखा दिया है। अब जनता का इन पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि सरकार ने भूमि से जुड़े काले कानूनों को रद नहीं किया तो संविधान दिवस यानी 26 नवंबर से शहीद स्मारक में भूख हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।

प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित पत्रकार वार्ता में मूल निवास, भू-कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि 10 नवंबर को हरिद्वार में स्वाभिमान महारैली आयोजित की जा रही है। आज पहाड़ के साथ ही तराई क्षेत्रों में रह रहे मूल निवासियों के सामने अपने अस्तित्व को बचाने का संकट है।

हरिद्वार की अपनी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान है। स्वाभिमान यात्रा के जरिए गंगा, गन्ना और गुड़ को बचाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। डिमरी ने कहा कि हरिद्वार महारैली के बाद भी सरकार नहीं जागी तो संघर्ष समिति 26 नवंबर (संविधान दिवस) से भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।

सरकार बजट सत्र में मजबूत भू-कानून लाने की बात कह रही है। लेकिन इससे पहले सरकार कैबिनेट बैठक बुलाकर भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद करने का अध्यादेश ला सकती है। लेकिन सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं दिखाई देती।

जब अवैध मलिन बस्तियों को बचाने के लिए रातोंरात अध्यादेश लाया जा सकता है तो फिर जमीनों को बचाने के लिए अध्यादेश क्यों नहीं लाया जा रहा। भू-कानून को लेकर सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई।

जनता का सरकार से विश्वास उठता जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के बाद भूमि कानूनों का उल्लंघन करने वालों की जमीनें सरकार में निहित करने की बात कही थी। लेकिन अभी तक कितनी जमीनें सरकार में निहित हुई, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है।

संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि समिति का विस्तार प्रदेशभर में किया जा रहा है। इसी क्रम में गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी की संस्तुति पर नरेंद्र रावत को चमोली जिले का प्रभारी और लक्ष्मण बुटोला को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। संघर्ष समिति का विस्तार जिले और ब्लाक में किया जाएगा। इस मौके पर सचिव प्रांजल नौडियाल, गढ़वाल सह संयोजक विपिन नेगी, उषा डोभाल, कोर मेंबर आशीष नौटियाल, जसवीर सिंह नेगी आदि मौजूद थे।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।