Uttarakhand News: तीन राज्यों में परचम लहराने के बाद अब नई रणनीति तैयार कर रही भाजपा, महिलाओं के बाद अनुसूचित जाति को साधने में जुटी
तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत भाजपा अब नई रणनीति बनाने में लगी है। कांग्रेस भले ही अभी माहौल को भांपने में लगी है लेकिन भाजपा ने लक्ष्य केंद्रित कर चुनावी मिशन के तहत पैठ बनानी शुरू कर दी है। भाजपा कुमाऊं में अनुसूचित जाति के जनप्रतिनिधि सम्मेलन करने जा रही है। इससे भाजपा ने चुनावी रणनीति को लेकर स्पष्ट संदेश भी दे दिया है।
By Jeet KumarEdited By: Jeet KumarUpdated: Wed, 06 Dec 2023 05:00 AM (IST)
गणेश जोशी, हल्द्वानी। भले ही उत्तराखंड के लिए जल, जंगल, जमीन के साथ ही पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार जैसे विषय मायने रखते हैं। इसके बावजूद चुनाव में जाति, धर्म, क्षेत्र की चर्चा ही चरम पर रहती है। राजनीतिक दल भी इसी समीकरण के जरिए चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में रहते हैं। इस समय लोकसभा चुनाव-2024 की हलचल शुरू हो गई है।
कांग्रेस भले ही अभी माहौल को भांपने में लगी है, लेकिन भाजपा ने लक्ष्य केंद्रित कर चुनावी मिशन के तहत पैठ बनानी शुरू कर दी है। कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में ही ईजा-बैंणी सम्मेलन के बाद अनुसूचित जाति के जनप्रतिनिधि सम्मेलन को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। वहीं, विशेष जाति व लिंग से संबंधित आयोजनों से भाजपा ने चुनावी रणनीति को लेकर स्पष्ट संदेश भी दे दिया है।
माहौल को चुनाव के जरिए न भुनाया जाए
वैसे तो ईजा-बैंणी महोत्सव का आयोजन सरकारी था, लेकिन जब मंच पर मुख्यमंत्री हों और पार्टी विशेष के लोगों का ही वर्चस्व हो तो माहौल को चुनाव के जरिए न भुनाया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। भले ही सरकार किसी भी दल की हो। ऐसा ही देखने को मिला 30 नवंबर को हल्द्वानी में आयोजित ईजा-बैंणी महोत्सव में। वैसे भी राज्य में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। राज्य आंदोलन से लेकर सामाजिक सरोकार तक।महिलाओं के मतप्रतिशत बहुत अधिक मायने रखते हैं
चुनाव में सरकार बनाने व हटाने में भी महिलाओं के मतप्रतिशत बहुत अधिक मायने रखते हैं, क्योंकि राज्य बनने के बाद ही महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से एक प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक अधिक रहा है। यहां तक कि कुमाऊं के ही पर्वतीय क्षेत्रों की चार से छह विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है। ऐसे में भाजपा सरकार का हल्द्वानी शहर से कुमाऊं भर में महिलाओं को संदेश भेजने का आयोजन भी विशेष रणनीति का ही हिस्सा माना गया।
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अनुसूचित जाति के वोटों पर पकड़ बनाए रखने की रणनीति
भाजपा ने दो दिसंबर को कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी महाविद्यालय में कुमाऊं भर के जनप्रतिनिधियों का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया। इसमें राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार से लेकर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य से लेकर अनुसूचित जाति से जुड़े आयोग भी बुला लिए। आयोजन को भव्य बनाने की कोशिश रही। इसके जरिए पूरे कुमाऊं में अनुसूचित जाति के लोगों को सरकार की नीतियों व पार्टी नीतियों को पहुंचाने का प्रयास किया।
संदेश पहुंचाने में पार्टी सफल भी रही। वैसे भी राज्य में लगभग 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोग हैं, जो ऊधम सिंह नगर से लेकर पहाड़ की कई सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक दल इस समुदाय के वोट बैंक को अपने पाले में करने की हरसंभव कोशिश में लगे रहते हैं। फिलहाल आयोजन, महोत्सव, सम्मेलनों व कार्यशालाओं के नाम पर भाजपा ऐसा करने में प्रतिद्वंद्वी दलों से कहीं आगे नजर आ रही है।
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