Ayushman Yojana : अब सीधे निजी अस्पतालों को रेफर नहीं कर सकेंगे सरकारी अस्पताल, नियमों में हुआ बदलाव
Ayushman Yojana प्रदेश में अभी आयुष्मान योजना के अंतर्गत 225 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें 102 राजकीय व 123 निजी अस्पताल शामिल हैं। मरीजों को पहले नजदीकी राजकीय चिकित्सकों बेस अस्पताल व राजकीय मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Ayushman Yojana : उत्तराखंड में चल रही आयुष्मान योजना में अब मरीजों को छोटे सरकारी अस्पताल सीधे निजी अस्पतालों के लिए रेफर नहीं कर सकेंगे।
मरीजों को पहले नजदीकी राजकीय चिकित्सकों, बेस अस्पताल व राजकीय मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जाएगा। इनमें इलाज न मिलने की स्थिति में ही मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जाएगा।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत 225 अस्पताल सूचीबद्ध
प्रदेश में अभी आयुष्मान योजना के अंतर्गत 225 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें 102 राजकीय व 123 निजी अस्पताल शामिल हैं। प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कालेज, पर्वतीय क्षेत्रों के सात निजी चिकित्सालय और नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फार हास्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से मान्यता प्राप्त 39 निजी अस्पतालों में रेफरल की आवश्यकता नहीं है।
शेष 74 निजी अस्पतालों में रेफरल की व्यवस्था है। इन अस्पतालों की जानकारी राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की वेबसाइट में है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने बताया कि प्राधिकरण के नियमित आडिट के दौरान यह बात सामने आई है कि राजकीय चिकित्सालय में उचित उपचार संभव न होने की स्थिति में नजदीकी बड़े सरकारी चिकित्सालयों अथवा मेडिकल कालेज के स्थान पर मरीज को सीधे निजी अस्पताल रेफर किया जा रहा है।
शासनादेश व रेफरल नीति में यह स्पष्ट है कि किसी भी राजकीय अस्पताल में समुचित कारण से इलाज संभव न होने पर ही मरीज को निजी चिकित्सालय रेफर किया जाए। प्राधिकरण ने ऐसे रेफरल जो शासनादेश के अनुसार नहीं किए गए हैं, उन्हें अमान्य किया है। उन्होंने कहा कि अब इस संबंध में सभी राजकीय चिकित्सालयों को निर्देश जारी किए गए हैं।
इमरजेंसी केस में रेफरल की जरूरत नहीं
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने कहा कि ऐसे इमरजेंसी केस जिनमें रोगी को तत्काल इलाज की आवश्यकता है, उनमें रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसी इमरजेंसी की स्थिति में किसी भी सूचीबद्ध निजी अस्पताल में बिना किसी रेफरल के आयुष्मान योजना के तहत उपचार किया जा सकता है। शासनादेश में भी इसकी व्यवस्था की गई है।