Uttarakhand News : नौ साल पहले पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के प्रभाव के कारण नहीं हुआ मुकदमा, पढ़ें पूरा मामला
Uttarakhand News वन क्षेत्र पर कब्जा और पेड़ों का अवैध कटान किए जाने के आरोप में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के विरुद्ध करीब नौ साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। सिद्धू द्वारा जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में बताया गया था कि उनके साथ की धोखाधड़ी हुई है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 29 Oct 2022 12:17 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand News : राजपुर में आरक्षित वन क्षेत्र पर कब्जा और पेड़ों का अवैध कटान किए जाने के आरोप में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के विरुद्ध करीब नौ साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस प्रकरण में वन विभाग ने मीडिया को जारी किए गए पत्र में अपना पक्ष रखा है। वन विभाग ने इस मुकदमे की कार्रवाई को नियमानुसार बताया है। वन विभाग ने नौ साल पूर्व मुकदमा दर्ज न होने का मुख्य कारण बीएस सिद्धू का प्रभाव बताया है। उस समय सिद्धू पुलिस विभाग में उच्च पद पर आसीन थे।
वर्ष 2013 में किया गया था 25 पेड़ों का अवैध कटान
वन मुख्यालय की ओर से जारी इस पत्र में कहा गया है कि राजपुर स्थित वन आरक्षित भूमि पर कब्जा करने और 25 पेड़ों का अवैध कटान वर्ष 2013 में किया गया था।शासन की अनुमति के बाद बीते 23 अक्टूबर को राजपुर थाने में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। इससे पूर्व वन विभाग की ओर से राज्य सरकार-शासन को इस प्रकरण के समस्त पहलुओं से अवगत कराया गया था।
मुकदमा दर्ज होने में किसी भी न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन नहीं हुआ है, क्योंकि किसी भी कोर्ट ने इस संबंध में मुकदमा दर्ज न करने का कोई आदेश नहीं दिया है। अत: न्यायालयों के आदेशों की अवमानना का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।
इसके अलावा तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग की ओर से जिलाधिकारी देहरादून के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत किए जाने के बाद राजस्व विभाग की ओर से बीएस सिद्धू के नाम हुआ दाखिल-खारिज निरस्त करते हुए पुनः वन भूमि को वन विभाग के नाम पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया गया।
बीएस सिद्धू की ओर से जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में बताया गया था कि इस प्रकरण में फर्जी नत्थूराम की ओर से उनके साथ की धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने वन भूमि के क्रय के दौरान दी गई स्टांप ड्यूटी वापस करने के लिए अनुरोध किया, लेकिन नत्थूराम की ओर से उनसे 60 लाख रुपये लिए जाने के संबंध में नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्होंने कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया।इससे स्पष्ट है कि आरोपित सिद्धू ने ही फर्जी नत्थूराम को वन भूमि के विक्रेता के रूप में खड़ा किया। वन विभाग का आरोप है कि पूर्व में सिद्धू के पुलिस महानिदेशक पद पर रहने के कारण पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
जबकि एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का निर्णय उच्च स्तर से ही हो सकता था। शासन की ओर से अब इस पर निर्णय लिए जाने व निर्देशित किए जाने के बाद वन विभाग ने बीएस सिद्धू समेत आठ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।
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