Yamunotri Dham: उत्तरकाशी में है मां यमुना का मंदिर, मान्यता है पूजा से मिलता यम की यातना से छुटकारा
Shardiya Navratri नवरात्र में मां यमुना की विशेष पूजा का विशेष महत्व है। आस्था है कि उत्तरकाशी में यमुनोत्री धाम में मां यमुना की पूजा से यम की यातना से छुटकारा मिलता है। शारदीय नवरात्र पर विशेष अनुष्ठान होता है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 29 Sep 2022 08:44 PM (IST)
जागरण संवाददता, देहरादून। Yamunotri Dham: उत्तरकाशी जनपद में स्थित यमुनोत्री धाम में नवरात्र में मां यमुना की विशेष पूजा होती है। शारदीय नवरात्र ऐसा अवसर होता है जब अनुष्ठान यमुनोत्री धाम में होता है। मान्यता है कि मां यमुना की पूजा से यम की यातना से छुटकारा मिलता है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
यह है मंदिर का इतिहास
- मान्यता है कि यमुनोत्री धाम में मां यमुना साक्षात रूप में विराजमान है।
- सूर्य पुत्री होने पर मां यमुना को सूर्य तनया के नाम से जाना जाता है।
- कालिंदी पर्वत से निकलने के कारण इसको कालिंदी भी पुकारा जाता है।
- जगतगुरु शंकराचार्य ने यमुना धाम की खोज की थी।
- टिहरी नरेश ने यमुनोत्री मंदिर का निर्माण और पुनर्निर्माण करवाया।
मंदिर की निर्माण की शैली
- शुरू में यमुनोत्री मंदिर पत्थर के पठाल (पत्थर की स्लेट) और लकड़ी से बनाया था।
- बाद में मंदिर का पक्का निर्माण करवाया गया।
- यमुनोत्री मंदिर को शिखर शैली का रूप दिया गया।
मान्यता है कि नहीं पड़ती शनि की वक्र दृष्टि
- मां यमुना शनिदेव और यमराज की बहन हैं। मान्यता है कि यम और शनिदेव ने यमुना को वरदान दिया है कि जो भी व्यक्ति यहां स्नान और दर्शन करेगा। उसे यम की यातना से भी मुक्ति मिलेगी। साथ ही शनि की वक्र दृष्टि भी नहीं पड़ेगी।
ये है आस्था
- कलव कालिंदी केवलम। अर्थात कलियुग में कालिंदी (यमुना) की पूजा को सर्वोपरि माना है।
- नमामि यमुना महं, सकल सिद्धी हेतु मुदा। अर्थात यमुना को प्रणाम करने मात्र से ही सारी सिद्धियों मिल जाती है।
ऐसे पहुंचे यमुनोत्री मंदिर
- सड़क मार्ग से
- देहरादून से विकासनगर होते हुए 176 किमी की दूरी तय कर के पहुंचे मंदिर तक।
- ऋषिकेश-धरासू होते हुए 246 किमी की दूरी तय कर धाम तक पहुंचे।
- यमुनोत्री से पांच किलोमीटर पहले जानकीचट्टी सड़क मार्ग का अंतिम पड़ाव है।
- यहं से यमुनोत्री धाम के लिए पैदल चलना पड़ता है।
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