पांच करोड़ लीटर पानी कहां जा रहा, किसी को नहीं पता- रोजाना बर्बाद होने वाले पेयजल का अफसरों के पास नहीं हिसाब
जल संस्थान के कई प्रयासों के बावजूद लीकेज की समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। कई इलाकों में जमींदोंज हो चुकी पाइपलाइन की जानकारी विभाग को खुद नहीं मालूम। ऐसे में कई जगहों पर जमीन के अंदर लीकेज हो रहा। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच विभाग के काल सेंटर में लीकेज की 523 शिकायत प्राप्त हुई हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। शहर में रोजाना बर्बाद हो रहे पांच करोड़ लीटर पानी का जल संस्थान के पास हिसाब नहीं है। अस्त-व्यस्त लाइन प्रबंधन और लीकेज समस्या के कारण रोजाना इतना पानी बर्बाद हो रहा है। हालांकि विभाग का दावा है कि कुछ उपभोक्ताओं के पास जरूरत से ज्यादा पानी पहुंच रहा है, लेकिन विभाग को पांच करोड़ लीटर पानी का राजस्व नहीं मिल रहा।
विशेष बात है कि इतना पानी बर्बाद होने के बावजूद कई उपभोक्ताओं को पर्याप्त नहीं मिलता।
देहरादून शहर में संचालित जल संस्थान की पांच शाखाओं में 1.90 लाख पेयजल कनेक्शन हैं, जिसके माध्यम से 12.92 लाख की जनसंख्या को पर्याप्त पानी देने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद शहर के कई इलाकों में पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं होती।
खासतौर पर गर्मियों में अधिकतर उपभोक्ताओं को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, देहरादून शहर के लिए रोजाना 25.70 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई मिलती है, जिसमें उपभोक्ताओं तक 20.70 करोड़ लीटर पानी पहुंचता है। ऐसे में पांच करोड़ लीटर पानी का रोजना हेरफेर हो रहा है।
चार महीने में लीकेज की 523 शिकायतें
जल संस्थान के कई प्रयासों के बावजूद लीकेज की समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। कई इलाकों में जमींदोंज हो चुकी पाइपलाइन की जानकारी विभाग को खुद नहीं मालूम। ऐसे में कई जगहों पर जमीन के अंदर लीकेज हो रहा। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच विभाग के काल सेंटर में लीकेज की 523 शिकायत प्राप्त हुई हैं।
सभी जगहों पर लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक पानी का हिसाब नहीं मिल पाता, लेकिन जल्द ही शहर में गैर-राजस्व जल का सर्वे कराकर इसका हिसाब लिया जाएगा। लीकेज समस्या का त्वरित निस्तारण किया जा रहा है।
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नीलिमा गर्ग, मुख्य महाप्रबंधक, जल संस्थान, देहरादून।