Dehradun News: राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के लिए सरकार तत्पर, विधेयक फिर राजभवन भेजने की है तैयारी
Dehradun News प्रदेश सरकार सरकारी सेवाओं में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। राज्य आंदोलनकारियों को राज्य गठन के बाद सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया गया।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 08 Jun 2023 08:58 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार सरकारी सेवाओं में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस कड़ी में कार्मिक विभाग को न्याय विभाग का परामर्श मिल चुका है। अब यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय में अनुमोदन को भेजा गया है। इसके बाद विधेयक को पुनर्विचार के लिए राजभवन भेजा जाएगा।
राज्य आंदोलनकारियों को राज्य गठन के बाद सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2004 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार के समय किए गए शासनादेश के आधार पर बड़ी संख्या में चिह्नित आंदोलनकारियों की विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी भी लगी। इस बीच वर्ष 2011 में आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के विषय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर हाईकोर्ट ने आंदोलनकारियों को दिए जा रहे आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय दिया।
विधेयक वर्ष 2022 तक राजभवन में रहा लंबित
आंदोलनकारियों द्वारा लगातार मांग करने के बाद वर्ष 2015 में हरीश रावत सरकार ने आंदोलनकारियों को आरक्षण दिए जाने संबंधित विधेयक को विधानसभा से पारित करा कर राजभवन भेजा। यह विधेयक वर्ष 2022 तक राजभवन में लंबित रहा। इसके बाद राजभवन ने इस विधेयक में कुछ कमियों को इंगित करते हुए वापस लौटा दिया। प्रदेश सरकार ने इसमें इंगित खामियों को दूर करने के लिए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति बनाई। इस समिति की अनुशंसा पर कैबिनेट ने इसे फिर से राजभवन भेजने को मंजूरी प्रदान की।अनुमति मिलने के बाद भेजा जाएगा राजभवन
कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद कार्मिक ने संबंधित प्रस्ताव न्याय विभाग को भेजा। अब न्याय विभाग ने इसमें अपना अभिमत दे दिया है। अब कार्मिक विभाग ने विधेयक फिर से राजभवन भेजने संबंधी पत्रावली को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा है। सचिव कार्मिक शैलेश बगोली ने कहा कि न्याय विभाग का परामर्श मिल चुका है। अब इसमें उच्च स्तर पर चर्चा की जाएगी। अनुमति मिलने के बाद इसे राजभवन भेज दिया जाएगा।
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