ठंडे बस्ते में : वर्ष 2017 में हुई घोषणा, लेकिन होमगार्ड के तीन हजार पदों पर अब तक नहीं हुई भर्ती
वर्ष 2017 में उत्तराखंड सरकार ने होमगार्ड की संख्या 6415 से 10 हजार करने की घोषणा की थी और केंद्र पहले ही इनकी संख्या बढ़ाने को मंजूरी दे चुका था। लेकिन चार साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अब तक नई भर्ती नहीं हुई है।
By Nirmala BohraEdited By: Updated: Fri, 25 Feb 2022 01:50 PM (IST)
विकास गुसाईं, राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश के सरकारी विभागों में होमगार्ड की महत्ता को देखते हुए इनके तीन हजार पदों पर भर्ती करने का निर्णय लिया गया। कई विभागों में सेवा दे रहे होमगार्ड आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही यातायात, आपदा प्रबंधन, चारधाम यात्रा और चुनावों में सक्रिय भूमिका में रहते हैं। विभागों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नई भर्ती न होने के कारण अधिकांश स्थानों पर होमगार्ड ही यह जिम्मेदारी निभा रहे हैं। होमगार्ड के इन कार्यों को देखते हुए दिसंबर 2017 में इनकी संख्या 10 हजार करने की घोषणा सरकार ने की थी। दरअसल, प्रदेश में अभी 6415 होमगार्ड कार्यरत हैं। ऐसे में शासन को तीन हजार पदों पर भर्ती को स्वीकृति प्रदान करनी थी। केंद्र पहले ही इनकी संख्या बढ़ाने को मंजूरी दे चुका था। इससे युवाओं को रोजगार का अवसर प्राप्त होने की संभावना जगी, मगर कतिपय कारणों से यह भर्ती प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो पाई।
बिसरा दिया गया बेनामी संपत्ति पर कानून उत्तराखंड में इस समय जमीन के भाव आसमान छू रहे हैं। जमीनों की खरीद फरोख्त बढऩे के साथ ही इससे जुड़े विवादों का ग्राफ भी बहुत तेजी से ऊपर गया है। इसमें तमाम राजनेताओं से लेकर नौकरशाहों तक पर अंगुलियां उठी हैं। इसे देखते हुए वर्ष 2016 में भ्रष्ट राजनीतिज्ञ, नौकरशाहों और उद्योगपतियों की बेनामी संपत्ति को सामने लाने को सख्त कानून बनाने की बात कही गई। यह भी कहा गया कि इस कानून को बनाने के लिए जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे। प्रदेश में सभी बेनामी संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी। ऐसी प्रक्रिया बनाई जाएगी, जिससे बेनामी संपत्ति को आसानी से पकड़ा जा सके। कहा गया कि बेनामी संपत्ति राज्य सरकार में निहित होगी तो सरकारी योजनाओं के लिए जमीन मिल सकेगी। अफसोस यह बस एक सरकारी बयान बन कर रह गया। इस ओर न तो कांग्रेस सरकार और फिर भाजपा सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया।
राजस्व ग्रामों को अभी जनगणना का इंतजारप्रदेश की मौजूदा प्रशासनिक इकाइयों के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए नए राजस्व ग्राम बनाने की योजना तैयार गई। उम्मीद जताई गई कि इससे गांवों को केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ मिलेगा। क्षेत्र में विकास होगा और ग्रामीण भी आॢथक रूप से मजबूत होंगे। यह योजना अच्छी थी, लेकिन इस ओर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन, प्रदेश में बीते छह सालों में कुल 39 राजस्व ग्राम ही बन पाए। इसे देखतेे वर्ष 2018 में 24 नए राजस्व ग्राम बनाने का निर्णय लिया गया। सरकार ने जिलों व तहसीलों में समितियों का गठन कर सभी से अपने क्षेत्रों से प्रस्ताव आमंत्रित करने को कहा। जब तक समिति अपना काम पूरा करती, तब तक बहुत देर हो गई। इस बीच केंद्र सरकार ने पत्राचार के दौरान यह साफ कर दिया कि अब 2021 की जनगणना के बाद ही नए ग्रामों का गठन किया जाएगा।
पुराने कानून बदलने को नहीं बना मैनुअल जेलों में कैदियों की दुर्दशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को वर्षों पुराने कानूनों को बदलने के निर्देश दिए। प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए। पुराने कानूनों का अध्ययन करने के लिए अपर सचिव गृह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें अपर सचिव न्याय व महानिरीक्षक जेल को शामिल थे। उम्मीद जताई गई कि समिति वर्षों पुराने कानूनों के स्थान पर माडल जेल मैनुअल को जगह देगी। संभावना थी कि इससे जेलों में निर्धारित क्षमता से अधिक बंद किए गए कैदियों की दशा कुछ सुधरेगी और जेलों के जरिये चल रही आपराधिक गतिविधियों पर नकेल कसी जा सकेगी। समिति की यह संस्तुति कैबिनेट के समक्ष रखी जानी थी। इस बीच शासन में सचिव गृह और पुलिस में महानिदेशक जेल का तबादला हो गया। इसके बाद से ही अभी तक इस समिति की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।