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उत्तराखंड में प्रदूषण से नुकसान को निपटने को 80 करोड़, नहीं कर सके खर्च

प्रदेश में वाहनों के प्रदूषण से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को बचाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा लिया जा रहा ग्रीन सेस आज तक उपयोग में नहीं लाया जा सका है।

By BhanuEdited By: Updated: Tue, 28 May 2019 08:48 PM (IST)
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उत्तराखंड में प्रदूषण से नुकसान को निपटने को 80 करोड़, नहीं कर सके खर्च
देहरादून, विकास गुसाईं।  प्रदेश में वाहनों के प्रदूषण से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को बचाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा लिया जा रहा ग्रीन सेस आज तक उपयोग में नहीं लाया जा सका है। आलम यह है कि इस मद में राजकीय कोष में 80 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। छह वर्ष बीतने के बावजूद इस राशि का इस्तेमाल नहीं हो पाया है। 

इसके लिए बनाए गए नियमों में विरोधाभास होने के कारण अभी तक धनराशि का उपयोग नहीं किया जा सका है। अब विभाग इसे खर्च करने के लिए नियमों में संशोधन कर शासन से स्वीकृत कराने की तैयारी कर रहा है। 

परिवहन विभाग में 12 दिसंबर 2012 को ग्रीन सेस लागू किया गया था। इसका मकसद वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए कार्य करना था। इसके लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कदम उठाए जाने थे। 

इस व्यवस्था के तहत नए रजिस्टर्ड होने वाले पेट्रोल चलित चौपहिया वाहनों से 1500 रुपये, डीजल चलित चौपहिया वाहनों से 3000 रुपये और दुपहिया वाहनों से छह सौ रुपये ग्रीन सेस लिया जाता है। वहीं व्यवसायिक वाहनों से फिटनेस के दौरान यही शुल्क लिया जाता है। 

निजी वाहनों में 15 वर्ष बार रिन्यूअल के समय इसी दर से ग्रीन सेस लिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में विभाग को 18.28 करोड़ रुपये ग्रीन सेस के रूप में प्राप्त हुआ। इस तरह अब तक विभाग को ग्रीन सेस से 80 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। 

अफसोसजनक यह कि ग्रीन सेस की व्यवस्था लागू करने के छह वर्ष बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। इसके पीछे कारण इसके लिए बनाए गए नियमों में विरोधाभास होना है। दरअसल, इसमें व्यवस्था थी कि ग्रीन सेस से जो पैसा मिलेगा, उसे राजकोष में जमा किया जाएगा। 

इसके अलावा इसके लिए एक निधि भी गठित की जाएगी। इस निधि में सरकार को भी योगदान करना होता है। एक ही चीज के लिए दो व्यवस्थाएं होने के कारण यह पैसा अभी तक कोषागार में ही जमा हो रहा है। अब विभाग इसके लिए उपयुक्त व्यवस्था बनाने की तैयारी कर रहा है। 

अपर आयुक्त परिवहन सुनीता सिंह का कहना है कि ग्रीन सेस के उपयोग के लिए नियमावली बनाई जा रही है। इसके बाद इसका उचित उपयोग किया जाएगा। 

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