Green Bonus हिमालयी राज्य उत्तराखंड एक बार फिर ग्रीन बोनस की मांग को लेकर मुखर होने जा रहा है। केंद्र सरकार नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन कर चुकी है। वित्तीय वर्ष 2026-27 से अगले पांच वर्षों के लिए प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला अनुदान आयोग की संस्तुतियों पर ही निर्भर करेगा।
रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण,
देहरादून: Green Bonus: हिमालयी राज्य उत्तराखंड एक बार फिर ग्रीन बोनस की मांग को लेकर मुखर होने जा रहा है। प्रति वर्ष तीन लाख करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाएं देश को देने के कारण प्रदेश का स्वयं का अवस्थापना विकास बाधित हो रहा है।
80 प्रतिशत से बड़े पर्वतीय भू-भाग में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहद लचर हाल में हैं। आजीविका और रहन-सहन की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं हो पा रहा है। ये समस्याएं राज्य को आर्थिक रूप से बीमार बनाए हुए हैं ही, सीमांत क्षेत्रों से लगातार पलायन ने सामरिक सुरक्षा के लिए संकट बढ़ा दिया है। भयावह रूप ले रही इस चुनौती को प्रदेश सरकार 16वें वित्त आयोग के समक्ष प्रभावी ढंग से रखने जा रही है, ताकि राजस्व घाटा अनुदान समेत केंद्र से मिलने वाले अनुदान में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ सके।
केंद्र सरकार नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन कर चुकी है। वित्तीय वर्ष 2026-27 से अगले पांच वर्षों के लिए प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला अनुदान आयोग की संस्तुतियों पर ही निर्भर करेगा।
आयोग को 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपनी है। 16वें वित्त आयोग के समक्ष ठोस पैरवी के लिए प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव एवं वित्त विशेषज्ञ इंदु कुमार पांडेय को सलाहकार नियुक्त किया है।
साथ में एक अन्य विशेषज्ञ संस्था की सेवाएं भी ली जा रही हैं।
रंग ला चुकी है 15वें वित्त आयोग में प्रभावी पहल
इससे पहले 15वें वित्त आयोग के समक्ष प्रभावी पैरवी करने का सार्थक परिणाम रहा था। खराब माली हालत और बढ़ते खर्च से जूझते उत्तराखंड को 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के रूप में बड़ी राहत मिली। पांच वित्तीय वर्षों यानी वर्ष 2025 तक राज्य को लगभग 84,740 करोड़ की राशि मिलने का रास्ता साफ हुआ।
15वें वित्त आयोग में भी राज्य सरकार की ओर से ग्रीन बोनस की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई थी। उत्तराखंड ने देश के समस्त 11 हिमालयी राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए हिमालय कान्क्लेव का आयोजन भी किया था। आयोग ने ग्रीन बोनस के रूप में अलग से सहायता तो नहीं दी, लेकिन राज्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 28,147 करोड़ की राशि को स्वीकृति दी। कोरोना संकट काल में राजस्व घाटा अनुदान समेत अन्य अनुदान में वृद्धि ने ही उत्तराखंड को बड़ा संबल दिया। 15वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में उत्तराखंड को 47,234 करोड़ की संस्तुति की थी।
शिक्षा, स्वास्थ्य व पलायन को केंद्र में रखकर बनेगी रिपोर्ट: पांडेय
प्रदेश सरकार के वित्तीय सलाहकार व पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडेय ने कहा कि ग्रीन बोनस की मांग 16वें वित्त आयोग से की जाएगी। साथ में पलायन की समस्या से निपटने के लिए सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। पलायन आयोग की रिपोर्ट में भी इन दोनों कारकों को पलायन के लिए जिम्मेदार माना गया है। पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास से दक्ष मानव संसाधन आवश्यक हो गए हैं। इससे पलायन को नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी। इन बिंदुओं पर विस्तृत अध्ययन करते हुए रिपोर्ट तैयार कर आयोग के समक्ष रखी जाएगी।
15वें वित्त आयोग ने पांच वर्षों के लिए उत्तराखंड को धन देने की इस प्रकार की थी संस्तुति
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(धनराशि: करोड़ रुपये में)
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मद, स्वीकृत धनराशि
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केंद्रीय कर, 47234
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राजस्व घाटा अनुदान, 28127
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शहरी-पंचायती निकाय, 4181
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आपदा प्रबंधन, 5178
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स्वास्थ्य, 728
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पीएमजीएसवाइ, 2322
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सांख्यिकी, 25
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न्याय, 70
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उच्च शिक्षा, 83
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कृषि, 277
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