उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों पर अगले पांच साल तक मेहरबान रहेगा केंद्र, मिलेंगे 2239 करोड़
उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों पर अब अगले पांच साल तक केंद्र सरकार मेहरबान रहेगी। इस अवधि में 15वें केंद्रीय वित्त आयोग से यहां की त्रिस्तरीय पंचायतों को 2239 करोड़ रुपये की धनराशि देने का प्रविधान किया गया है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 04 Sep 2021 06:24 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड की 7791 ग्राम पंचायतों, 95 क्षेत्र पंचायतों और 13 जिला पंचायतों पर अगले पांच साल तक केंद्र सरकार मेहरबान रहेगी। इस अवधि में 15वें केंद्रीय वित्त आयोग से यहां की त्रिस्तरीय पंचायतों को 2239 करोड़ रुपये की धनराशि देने का प्रविधान किया गया है। पंचायतें अनुदान के रूप में मिलने वाली इस राशि का उपयोग विकास कार्यों के साथ ही स्वच्छता, जल संरक्षण जैसे कार्यों में भी कर सकेंगी।
राज्य की त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 425 करोड़, वर्ष 2022-23 के लिए 440 करोड़, वर्ष 2023-24 के लिए 445 करोड़, 2024-25 के लिए 471 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 458 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रविधान किया है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 में यहां की त्रिस्तरीय स्तरीय पंचायतों को 15वें वित्त आयोग से 574 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
इसमें ग्राम पंचायतों के हिस्से में 430.50 करोड़ रुपये की राशि आई, जबकि क्षेत्र पंचायतों को 58.40 करोड़ और जिला पंचायतों को 86.10 करोड़ की धनराशि मिली। चालू वित्तीय वर्ष में अनटाइड फंड की प्रथम किस्त के रूप में ग्राम पंचायतों को 63.75 करोड़, क्षेत्र पंचायतों को 8.50 करोड़ और जिला पंचायतों को 12.75 करोड़ रुपये की धनराशि का आवंटन हुआ है। इसके अलावा राज्य वित्त आयोग से भी त्रिस्तरीय पंचायतों को निरंतर धनराशि मिल रही है। विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली धनराशि अलग है।
यह भी पढ़ें- पहाड़ में खेतों तक पानी पहुंचाने की मुहिम, साढ़े चार साल में बनी लिफ्ट सिंचाई योजनाओं पर डालें एक नजरजाहिर है कि केंद्र और राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप मिलने वाले अनुदान के साथ ही विभिन्न योजनाओं में मिलने वाले बजट के सदुपयोग का जिम्मा अब त्रिस्तरीय पंचायतों पर है। पंचायतों को अपने-अपने क्षेत्र की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए गांव के विकास की योजनाएं बनानी होंगी। इसमें ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम यानी जीपीडीपी की महत्वपूर्ण भूमिका है। पंचायत प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे पर्याप्त होमवर्क कर गांवों के विकास को ठोस एवं प्रभावी योजनाएं तैयार कर इन्हें धरातल पर उतारें।
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