सत्ता के गलियारे से: राजनीति में रोज परीक्षा, इसलिए धामी बने छात्र
Uttarakhand Politics राजधानी देहरादून के एक विद्यालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का हिस्सा बने। कार्यक्रम में वह मुख्यमंत्री नहीं एक छात्र की तरह दिख रहे थे।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 30 Jan 2023 10:45 AM (IST)
विकास धूलिया, देहरादून: चर्चा परीक्षा पर हो तो भला कौन मौका चूकना चाहेगा। बात चाहे स्कूली जीवन की हो या फिर राजनीति की, मन में सीखने की ललक हो, लक्ष्य हासिल हो ही जाता है। ऐसा ही कुछ नजर आया प्रधानमंत्री के कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा के समय। राजधानी देहरादून के एक विद्यालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।
कार्यक्रम में वह मुख्यमंत्री नहीं, एक छात्र की तरह दिख रहे थे। इधर, प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू किया, उधर धामी हाथ में नोट पैड लेकर तल्लीनता के साथ कुछ नोट करने लगे। लगभग पूरे कार्यक्रम में वह पैड पर कुछ लिखते ही रहे। शायद प्रधानमंत्री छात्रों को परीक्षा के दबाव से मुक्त होने के लिए जो टिप्स दे रहे थे, धामी उन्हें गंभीरता से बिंदुवार आत्मसात कर रहे थे। अब राजनीति में तो रोज परीक्षा देनी पड़ती है, पता नहीं कौन सी बात कब और कहां काम आ जाए।
भगतदा की इच्छा से उत्तराखंड में मची हलचल
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राजनीति से संन्यास का मन बना लिया है। भगतदा ने अपनी इच्छा प्रधानमंत्री के समक्ष जाहिर कर दी है। उन्होंने कहा है कि वह अपना समय अब पढऩे-लिखने में बिताना चाहते हैं। उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय रहे, राज्य के मुख्यमंत्री भी बने, तो स्वाभाविक है कि वह उत्तराखंड का ही रुख करेंगे। भगतदा के इस कदम से राज्य की राजनीति में हलचल नजर आ रही है।कुशल प्रशासक और सांगठनिक कार्यों में निपुण कोश्यारी सक्रिय राजनीति से तो हट जाएंगे, लेकिन स्वयं को पूरी तरह राजनीति से विलग रख पाएंगे, ऐसा लगता नहीं। यही वजह है कि कांग्रेस उनके अगले कदम को नजर गढ़ाकर देख रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भगतदा के राजनीतिक शिष्य हैं, उनका मार्गदर्शन धामी को मिलेगा, यह तय है। संभवतया कांग्रेस की बेसब्री का सबब यही है। वैसे, कौतुहल कुछ भाजपा नेताओं में भी कम नहीं है।
बूमरैंग बन गई रावत के लिए अपनी नसीहत
राजनीति में अक्सर होता है कि भलमनसाहत से कही गई बात बूमरैंग की तरह स्वयं पर ही लौट कर प्रहार कर डालती है। ऐसा ही कुछ हुआ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ। जोशीमठ आपदा को लेकर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात की। इसके बाद रावत ने इंटरनेट मीडिया में एक पोस्ट की, जिसमें उन्होंने धामी की खुले दिल से सराहना की।पोस्ट का सार यह था कि धामी बहुत अच्छे स्रोता हैं, अलोचनात्मक सुझावों को भी धैर्य के साथ सुनते हैं। इसी कड़ी में रावत ने युवाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने की बात कही, लेकिन उनके पुराने सिपहसालार प्रीतम सिंह ने इसे लपक लिया। बोले, नौजवानों को आगे बढ़ाने का सुझाव तो स्वागतयोग्य है, लेकिन इसमें बहुत देर कर दी। चलो, देर आए, दुरुस्त आए। कुछ समझे, रावत की सक्रियता इस कदर कि कांग्रेस में कहां नौजवानों को चेहरा दिखाने का अवसर मिल पाता है।
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