Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड : पता चलेगा कि गांवों से पलायन पर कितना लगा अंकुश

पिछले चार वर्षों में गांवों से पलायन पर कितना अंकुश लगा इसे लेकर अब वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग जल्द ही इस संबंध में सर्वे कराने जा रहा है। इसमें यह भी देखा जाएगा कि पलायन की स्थिति क्या है इनसे कितना लाभ मिला है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 06:30 AM (IST)
Hero Image
पिछले चार वर्षों में गांवों से पलायन पर कितना अंकुश लगा, इसे लेकर अब वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पिछले चार वर्षों में गांवों से पलायन पर कितना अंकुश लगा, इसे लेकर अब वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग जल्द ही इस संबंध में सर्वे कराने जा रहा है। इसमें यह भी देखा जाएगा कि पलायन थामने के लिए जो योजनाएं शुरू की गई थीं, उनकी स्थिति क्या है और इनसे कितना लाभ मिला है।राज्य में पलायन एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है, मगर पूर्व में इसका कोई अधिकृत आंकड़ा सरकार के पास नहीं था। इसे देखते हुए वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग का गठन किया।

आयोग ने वर्ष 2018 में सर्वे कर राज्य में पलायन की स्थिति और इसके कारणों पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। बात सामने आई कि राज्य गठन से लेकर अब 1702 गांव पलायन के चलते निर्जन हो चुके हैं। सैकड़ों गांवों में आबादी अंगुलियों में गिनने लायक रह गई है। रिपोर्ट के मुताबिक मूलभूत सुविधाओं के अभाव और बेहतर भविष्य की तलाश में गांवों से मजबूरी में पलायन हो रहा है।इसके बाद आयोग ने पलायन थामने के मद्देनजर विभागवार कार्ययोजना तैयार कर इसका मसौदा सरकार को सौंपा। इसके अनुरूप कार्ययोजना तैयार की गई और इसे लागू भी किया गया। इसके तहत गांवों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के साथ ही रोजगार के अवसरों पर फोकस किया गया। पिछले साल कोरोना संकट के चलते बड़ी तादाद में देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी वापस अपने गांव लौटे। इनमें से करीब एक लाख वापस लौट चुके हैं, जबकि ढाई लाख के आसपास अभी गांवों में रुके हैं। इन्हें गांवों में थामे रखने के मद्देनजर रोजगार, स्वरोजगार से जोडऩे को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना समेत अन्य कदम उठाए गए।

यह भी पढ़ें- उत्‍तराखंड के तकनीकी संस्थान खर्च नहीं सके 28 करोड़, जानिए क्‍या है इनकी स्थिति

इन सब उपायों का कितना असर पड़ा और वर्तमान में पलायन की स्थिति क्या है, इसे लेकर आयोग सर्वे कराने जा रहा है। आयोग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी के अनुसार सर्वे की कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। जल्द ही सर्वे शुरू होगा। सर्वे में यह भी साफ हो सकेगा कि बदली परिस्थितियों में गांव लौटे प्रवासी किन-किन क्षेत्रों में रोजगार, स्वरोजगार कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें- शताब्दी एक्सप्रेस के यात्रियों के लिए देवदूत बने वनकर्मी, आग की चपेट में आए कोच से यात्रियों को निकाला बाहर

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।