उत्तराखंड: तेज हुआ शहीद स्मारक शिफ्ट करने का विरोध, अनदेखी से राज्य आंदोनलकारी आक्रोशित; दी ये चेतावनी
कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक शिफ्ट करने का विरोध अब और भी तेज हो गया है। राज्य आंदोलनकारी स्मारक शिफ्ट न करने के लिए अब उन विधायकों से मुलाकात कर समर्थन मागेंगे जिनसे अभी उनकी बात नहीं हो पाई है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत स्मार्ट कलेक्ट्रेट प्रोजेक्ट के तहत कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक शिफ्ट करने का विरोध अब और भी तेज हो गया है। राज्य आंदोलनकारी स्मारक शिफ्ट न करने के लिए अब उन विधायकों से मुलाकात कर समर्थन मागेंगे, जिनसे अभी उनकी बात नहीं हो पाई है। इसके साथ ही वे सांसदों को भी पत्र लिखेंगे। इतना ही नहीं आंदोलनकारियों ने ये भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती तो वे भूख हड़ताल को मजबूर होंगे।
कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक अन्यत्र शिफ्ट और तोड़ने को लेकर चल रही चर्चा पर राज्य आंदोलनकारियों ने नाराजगी जताई है। कहा कि इससे राज्य आंदोलनकारियों की भावनाएं जुड़ी हैं। अगर इसे तोड़ने की कोशिश की जाएगी तो उन्हें भूख हड़ताल पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकरी मंच ने बीते नवंबर में इस संबंध में सचिवालय में मुख्य सचिव ओमप्रकाश और जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी से वार्ता की थी, जिसमें मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की सहमति के बगैर कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा। इसके बाद उन्होंने जिलाधिकारी को फोन कर ऋषिकेश में शहीद स्मारक को सूचना दिए तोड़ने के बारे में जानकारी ली थी।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का कहना है कि किसी भी हालात में ऐतिहासिक शहीद स्मारक को नहीं छेड़ने देंगे। जगमोहन सिंह नेगी, रविंद्र जुगरान ने कहा कि स्मारक का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे आमजन इस स्थान को देख सकें और राज्य आंदोलन का इतिहास जानें। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि कई विधायकों का उन्हें समर्थन मिला है। बाकी से वार्ता की जाएगी। वहीं, सांसद को भी पत्र लिखकर शहीद स्मारक शिफ्ट न किए जाने की मांग करेंगे।
विनोद चमोली ने दिया समर्थन शहीद स्थल को बचाने के लिए वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और विधायक विनोद चमोली ने आंदोलनकारियों को समर्थन दिया है। बीते माह उन्होंने शहीद स्मारक पहुंचकर निरीक्षण किया था। उनका कहना है कि शहीद स्मारक को न छेड़ा जाए, क्योंकि इससे आंदोलनकारियों की भावनाएं जुड़ी हैं। कहा कि पृथक राज्य का गांधीवादी आंदोलन से लेकर तमाम प्रदर्शन, भूख हड़ताल, बैठक और गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक का स्थान है। राज्य आंदोलनकारियों ने रात रात रुककर इस जगह को सींचने का कार्य किया।
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