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पहाड़ों की रानी मसूरी तक हवा में सफर कर सकेंगे पर्यटक, जानिए क्या है योजना

Uttarakhand Tourism पर्यटकों के सफर के रोमांच को और बढ़ाने के लिए देहरादून से मसूरी के बीच रोप वे बनाने का निर्णय लिया गया। गणना की गई कि इससे सफर मात्र 15 मिनट का होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 17 Jul 2020 04:16 PM (IST)
पहाड़ों की रानी मसूरी तक हवा में सफर कर सकेंगे पर्यटक, जानिए क्या है योजना
देहरादून, विकास गुसाईं। Uttarakhand Tourism पहाड़ों की रानी मसूरी की अलग ही पहचान है। उत्तराखंड आने वाला यात्री एक बार मसूरी जरूर घूमना चाहता है। देहरादून से मसूरी तक की सर्पीली सड़कें और प्राकृतिक नजारे बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। पर्यटकों के सफर के रोमांच को और बढ़ाने के लिए देहरादून से मसूरी के बीच रोप वे बनाने का निर्णय लिया गया। गणना की गई कि इससे सफर मात्र 15 मिनट का होगा। पर्यटकों को रास्ते के जाम से भी मुक्ति मिलेगी। इसमें दो जगह स्टॉपेज और पार्किंग सुविधा की भी योजना बनी। योजना पर सालों तक काम चला। बीते वर्ष इसे मंजूरी दे दी गई। तकरीबन 300 करोड़ रुपये से बनने वाली इस परियोजना के लिए निर्माण एजेंसी तक तय कर दी गई। निर्माण कार्य शुरू होता, तब तक पर्यावरण स्वीकृति व आइटीबीपी से अनुमति लेने के पेच योजना में फंस गए। फिलहाल, पेच अब तक भी सुलझ नहीं पाए हैं।

साहसिक गतिविधियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण

प्रदेश सरकार ने साहसिक गतिविधियों से जुड़ी योजनाओं से युवाओं को रोजगार दिलाने का निर्णय लिया। वर्ष 2015 में इसके लिए एक स्वरोजगार योजना का खाका खींचा गया। नाम दिया गया 'मेरे युवा, मेरा उत्तराखंड'। योजना के अनुसार 14 से 45 वर्ष की उम्र के स्थानीय युवाओं को राफ्टिंग, स्कीइंग, ट्रैकिंग और पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक गतिविधियों का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाना था। पर्यटन विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाली इस योजना के लिए हर वर्ष पांच करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान करने पर मुहर लगी। कहा गया कि प्रशिक्षण के दौरान युवाओं के लिए आवास, भोजन आदि की व्यवस्थाएं भी सरकार के तरफ से ही की जाएंगी। इस योजना पर जोर-शोर से काम करने की बात भी कही गई। युवाओं के मन में भी इससे आशा की एक किरण जगी। कुछ समय तक पत्रावली भी चलाई गई, मगर यह योजना अब तक कागजों से बाहर ही नहीं निकल पाई।

गांवों में पर्यटन सुविधा विकास

ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को गति देने का सपना अभी थोड़ा पूरा, थोड़ा अधूरा है। इसके लिए प्रदेश में आई हर सरकार ने अपने स्तर से योजनाएं बनाई। ऐसी ही एक योजना थी ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना। इस योजना के तहत गांवों में पर्यटन विकास के साधन विकसित किए जाने थे। शुरुआती चरण में इसमें 38 गांवों का चयन किया गया। कहा गया कि देशी-विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश से परिचित कराने के साथ ही स्थानीय लोगों को पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की आस जगी। माना गया कि पर्यटकों को गांवों तक लाने से सरकार इनकी सूरत सुधारने का काम भी करेगी। अफसोस यह योजना ज्यादा लंबी नहीं चल पाई। इसके स्थान पर होम स्टे योजना लाई गई है। इस योजना से स्वरोजगार तो मिल रहा है लेकिन गांवों की सूरत संवारने को सरकार का सहयोग अभी भी अपेक्षित है।

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कब बनेंगी विभागों की नियमावलियां

राज्य गठन हुए 20 साल होने को हैं। बावजूद इसके आज भी प्रदेश के अधिकांश विभागों की अपनी नियमावलियां नहीं बन पाई हैं। नतीजतन पदोन्नति और वरिष्ठता के मामलों में विवाद बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे मामले न्यायालय में भी जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि इस दिशा में कोई काम ही नहीं हुआ। तमाम विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजे लेकिन शासन ने जो संशोधन किए, वे विभाग को रास नहीं आए। फिर संशोधन भेजे गए, जो शासन ने अस्वीकार कर दिए। इस खींचतान का नतीजा यह है कि कई सरकारी कर्मचारी पदोन्नति की राह तकते तकते सेवानिवृत्त तक हो चुके हैं। इसका एक और बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि अपनी नियमावली न होने से विभागों को केंद्र की सहायता नहीं मिल पा रही है। इस दिक्कत के बाद भी सरकार और शासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।

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