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उत्तराखंड परिवहन निगम को घाटे से उबारने की कोशिश, मिली 110 करोड़ की संजीवनी

राज्य सरकार ने बजट में परिवहन निगम को संजीवनी दी है। सरकार ने निगम को घाटे से उबारने की भी कोशिश की है। निगम को दी जाने वाली मदद सरकार ने दोगुनी से अधिक कर दी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Thu, 05 Mar 2020 01:36 PM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम को घाटे से उबारने की कोशिश, मिली 110 करोड़ की संजीवनी
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। राज्य सरकार ने बजट में परिवहन निगम को 'संजीवनी' दी है। सरकार ने निगम को घाटे से उबारने की भी कोशिश की है। निगम को दी जाने वाली मदद सरकार ने दोगुनी से अधिक कर दी। अभी तक यह सालाना 53 करोड़ थी, जिसे बढ़ाकर 110 करोड़ रुपये की गई है।

परिवहन सेवा में जनकल्याणकारी योजनाओं की मद में पर्वतीय मार्गों पर संचालन से हो रहे घाटे की सहायता राशि 10 करोड़ से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये की गई है। बता दें कि  इसी मांग को लेकर कर्मचारी संगठन सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए थे। 

बजट में भले ही परिवहन निगम के 250 करोड़ के सालाना घाटे की पूरी भरपाई सरकार न कर पाई हो, लेकिन कुछ हद तक राहत देने का प्रयास जरूर दिखा। बसों की खरीद के लिए ऋण में सालाना 10 करोड़ रुपये का ब्याज चुका रही सरकार ने यह मदद बढ़ाकर 12 करोड़ रुपये कर दी है। इससे निगम की नई बसों की खरीद की राह आसानी होगी।

सरकार ने पिछले बजट में पर्वतीय मार्गों पर संचालन से होने वाले घाटे की प्रतिपूर्ति का बजट 10 करोड़ रुपये रखा था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर दो बार रोडवेज को 10-10 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई गई। अब सरकार ने घाटे की प्रतिपूर्ति का बजट 10 करोड़ से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे न केवल कर्मचारियों की अरसे पुरानी मांग पूरी हो गई।

साथ ही इससे पर्वतीय मार्गों पर बसों के संचालन में भी मदद मिलेगी। बजट में सरकार ने कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर रोडवेज को अलग से 20 करोड़ की मदद देने का प्रविधान किया है। प्रदेश में नए बस अड््डे बनाने व पुरानों का सुधार करने के लिए 19 करोड़ की धनराशि रखी गई है। 

रोडवेज के लिए बजट

मद---------------------------------धनराशि

पर्वतीय घाटा-----------------------35 करोड़

मुफ्त यात्रा योनजाएं--------------20.50 करोड़

छात्रा मुफ्त यात्रा-------------------3.50 करोड़

बस पर ऋण-----------------------12 करोड़

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति-------------20 करोड़

रामगनर बस अड्डा------------------4 करोड़

अल्मोड़ा बस अड्डा------------------4 करोड़

नरेंद्रनगर बस अड्डा-----------------1 करोड़

अन्य बस अड्डे---------------------10 करोड़

ये हैं कर्मचारियों के तर्क

कर्मचारी संगठनों का कहना था कि पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन से परिवहन निगम पहले ही घाटा उठा रहा है, मुफ्त यात्राएं इसे बढ़ा रही हैं। सरकार इसकी प्रतिपूर्ति राशि भी उपलब्ध नहीं करा रही है। इससे निगम को वेतन देने के भी लाले पड़ रहे हैं। इस मामले को लेकर पिछले साल उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को घाटे की प्रतिपूर्ति के आदेश दिए थे। 

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सरकार ने निभाया वादा 

सरकार के बजट से पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन बढऩे की उम्मीद जगी है। रोडवेज कर्मचारी भी संतुष्ट नजर आ रहे। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार चौधरी और रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत ने पर्वतीय घाटा मदद के लिए मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री एवं मुख्य सचिव समेत परिवहन सचिव व रोडवेज के प्रबंध निदेशक को धन्यवाद दिया है। साथ ही कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए वित्तीय मदद सराहनीय कदम है। उन्होंने पर्वतीय मार्गों पर दी गई मदद को नाकाफी बताया। संगठनों ने सरकार से इस मद में 100 करोड़ की मदद मांगी थी।

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