Move to Jagran APP

उत्तराखंड परिवहन निगम के पास करोड़ों की संपत्ति, फिर भी बना है किराएदार

उत्तराखंड परिवहन निगम करोड़ों रुपये रुपये की संपत्ति का मालिक होने के बाद भी किराएदार बना हुआ है। निगम अपने मुख्यालय तक का निर्माण नहीं करा सका।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 18 Jul 2019 07:15 PM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड परिवहन निगम के पास करोड़ों की संपत्ति, फिर भी बना है किराएदार
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। उत्तराखंड परिवहन निगम करोड़ों रुपये रुपये की संपत्ति का मालिक होने के बाद भी किराएदार बना हुआ है। उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड का परिवहन निगम बने 16 साल गुजर चुके हैं, लेकिन इन अवधि में निगम अपने मुख्यालय तक का निर्माण नहीं करा सका।

उत्तराखंड परिवहन निगम के बाकी दफ्तर तो अपने भवन में चल रहे हैं, लेकिन मुख्यालय किराए के भवन में चल रहा है। वर्तमान में इसका किराया करीब सवा लाख रुपये महीना चुकाया जा रहा। यानी प्रत्येक साल 15 लाख रुपये। ऐसे में करोड़ों रुपये का सालाना घाटा झेल रहा निगम 15 लाख रुपये का बोझ हर साल क्यों उठा रहा, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। 

रोडवेज के पास न केवल देहरादून बल्कि प्रदेश के हर जनपद में संपत्ति है। राजधानी दून की बात हो तो यहां हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला व गांधी रोड पुराना बस अड््डा समेत मंडलीय कार्यालय और ट्रांसपोर्टनगर में प्रस्तावित कार्यशाला के लिए कई एकड़ जमीन उपलब्ध है। 

पुराने बस अड्डे वाली जमीन चार साल पहले जीटीएम बिल्डर के हवाले लीज पर दे दी गई मगर बाकी जगह अभी भी रोडवेज के कब्जे में है। हालांकि, यह बात अलग है कि रोडवेज अपनी अन्य संपत्ति भी पीपीपी मोड पर दूसरे बिल्डर या विभागों को निर्माण के लिए देने की तैयारी कर रहा है लेकिन इसके बावजूद निगम के अधिकारी अपने मुख्यालय का निर्माण नहीं करा पा रहे। 

वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से पृथक राज्य बनने के बाद वर्ष 2003 में उत्तराखंड का परिवहन निगम अस्तित्व में आया। शुरू से निगम सालाना लाखों और अब करोड़ों का घाटा होने का रोना रो रहा है लेकिन इसकी वजह भी खुद निगम ही है। भ्रष्टाचार जड़ों तक भरा हुआ है। 

चालक-परिचालक बगैर टिकट बसें दौड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं तो यूनियनबाजी से निगम का बट्टा बैठता जा रहा। इसी तरह कमीशनबाजी के चक्कर में निगम मुख्यालय भी किराए के भवन में चलाया जा रहा। पिछले 16 साल में निगम की तरफ से मुख्यालय निर्माण का प्रस्ताव तक तैयार नहीं किया गया। 

करोड़ किराया दे चुका निगम

पिछले 16 साल में मुख्यालय के दफ्तर का परिवहन निगम करीब एक करोड़ रुपये किराया दे चुका है। पहले वसंत विहार के इंदिरानगर में करीब आठ साल तक निगम मुख्यालय किराए पर रहा। यहां 30 हजार रुपये किराए से लेकर 50 हजार रुपये तक महीना किराया दिया गया। साल 2010 में निगम मुख्यालय एफआरआइ चकराता रोड के सामने शिफ्ट कर दिया गया। नौ वर्ष से किराया 80 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़कर अब सवा लाख रुपये हो चुका है। 

मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाने का है प्रस्ताव 

उत्तराखंड परिहवन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन के मुताबिक, निर्माण का बजट न होने की वजह से परिवहन निगम मुख्यालय का निर्माण नहीं हो सका। यह बात सही है कि निगम के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है, लेकिन उस पर निर्माण का बजट कहां से लाएं। गांधी रोड पर मंडलीय कार्यालय के पुराने भवन को तोड़कर वहां मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव है। ताकि मुख्यालय भी वहीं शिफ्ट हो सके। बजट की उपलब्धता पर ही यहां निर्माण शुरू हो पाएगा।

यह भी पढ़ें: वर्दी पहनने में घट रही रोडवेज कर्मियों की शान Dehradun News

यह भी पढ़ें: दून से दिल्ली जा रही पंचर बस आधे रास्ते से लौटी, यात्रियों ने झेली मुसीबत

यह भी पढ़ें: दून से दिल्ली की बढ़ेगी दूरी, महंगा हो जाएगा रोडवेज का सफर; जानिए वजह

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।