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Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम ने ली करवट, भारी वर्षा की चेतावनी; बढ़ा सकती है मुसीबत

Uttarakhand Weather उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदल ली है। मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जा रही की है। बारिश से अगले तीन दिन लोगों की मुसीबत बढ़ा सकती है। पर्वतीय क्षेत्रों और नदी-नालों के किनारों से दूर रहने की सलाह दी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 07:12 AM (IST)
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Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदल ली है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम ने करवट बदल ली है। प्रदेशभर में बादलों का डेरा है और कहीं-कहीं बौछारों का क्रम भी शुरू हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार आज गुरुवार को प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी वर्षा के आसार हैं।

भारी बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट

खासकर कुमाऊं में भारी से भारी बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है। मैदानी इलाकों में गर्जन के साथ तेज बौछारें पड़ने के आसार हैं। कहीं कहीं आकाशीय बिजली चमकने की भी आशंका है।

बादलों के डेरे के साथ वर्षा के दौर शुरू

प्रदेश में मौसम के तेवर फिर तल्ख हो गए हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में बादलों के डेरे के साथ वर्षा के दौर शुरू हो गए हैं। बुधवार को कुमाऊं के सीमांत क्षेत्रों में दोपहर बाद झमाझम वर्षा हुई और रात को भी कई क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा का क्रम बना रहा।

मालदेवता में तेज बौछारों से सहमे लोग

इधर, देहरादून में ज्यादातर क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ झमाझम वर्षा हुई। मालदेवता क्षेत्र में बौछारों के बीच क्षेत्रवासी सहम उठे। रात को भी भारी वर्षा की आशंका बनी रही। चमोली और रुद्रप्रयाग में भी हल्की बौछारें रिकार्ड की गईं।

स्कूलों में दो दिन का अवकाश

मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनजर कुमाऊं मंडल के सीमांत जिलों और गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग में स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक अगले दो दिन प्रदेश में भारी बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट, जबकि शनिवार के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है।

नदी-नालों से दूर रहने की सलाह

इस दौरान कुमाऊं और गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है। भूस्खलन और चट्टाने खिसकने का खतरा है। नदी-नालों के उफान पर आने से किनारे स्थित बस्तियों को भी खतरा पैदा हो सकता है।

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