Uttarakhand Weather : उत्तर भारत में ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय, तीन पहाड़ी जिलों में वर्षा-बर्फबारी के आसार
Uttarakhand Weather अगले कुछ दिन में उत्तराखंड में ठिठुरन बढ़ सकती है। अगले दो दिन चमोली उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग समेत आसपास के क्षेत्रों में वर्षा-बर्फबारी हो सकती है। वहीं अन्य जिलों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा व ओलावृष्टि के आसार हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 06 Nov 2022 08:44 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : Uttarakhand Weather : उत्तर भारत में ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। जिस कारण अगले कुछ दिन में उत्तराखंड में ठिठुरन बढ़ सकती है। तीन पहाड़ी जिलों में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं।
मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिन चमोली, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग समेत आसपास के क्षेत्रों में वर्षा-बर्फबारी हो सकती है। जबकि, मैदानों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि हो सकती है। इससे तापमान में गिरावट आ सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उत्तर भारत में ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। पाकिस्तान की ओर से साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी हिमालय की ओर बढ़ रहा है। जिससे रविवार और सोमवार को प्रदेश में बादल छाये रह सकते हैं। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग में वर्षा और बर्फबारी हो सकती है। वहीं अन्य जिलों में कहीं-कहीं हल्की वर्षा व ओलावृष्टि के आसार हैं।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शनिवार को हुई बर्फबारी
बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शनिवार को बर्फबारी हुई। बदरीनाथ धाम परिसर में करीब आधा घंटे तक बर्फबारी हुई लेकिन कुछ ही देर में बर्फ पिघल गई थी। धाम की ऊंची चोटियों पर ताजी बर्फ जमी है। हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ सहित अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी बर्फबारी होने से मौसम ठंडकभरा हो गया है।
ग्लोबिल वार्मिंग से पिघल रहे हैं ग्लेशियर
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से जलवायु परिवर्तन, वायु गुणवत्ता और एयरोसोल का हिमालयी क्षेत्रों में प्रभाव विषय को लेकर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन पूर्णत: एकेडमिक रहा।विषय विशेषज्ञों ने आनलाइन और आफलाइन कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान के बारे में जानकारियां दीं। डा. एसपी सती ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बांध निर्माण से समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
टीएसआइ ब्लू स्काई जैसे कई प्रदूषण मापन उपकरणों के बारे में डा. रामकृष्णन और संजीव कुमार ने विस्तार से बताया। डा. गौतम ने उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण से हो रहे प्रभाव को रेखांकित किया।यह भी पढ़ें - Uttarahand Weather Update : उत्तराखंड में 12 नवंबर तक बारिश के आसार नहीं, सुबह-शाम का तापमान गिरेगा
छात्र-छात्राओं ने जलवायु परिवर्तन, एयरोसोल और वायु गुणवत्ता पर किए जा रहे शोध कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। शोध छात्र प्रशांत चौहान ने बायोमास बर्निंग, पृथ्वी राज ने मैक्स मापन और रूपल अंबुलकर ने देश के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में पराली जलाने से हो रहे वायु प्रदूषण की शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की।प्राची गोयल ने पहाड़ी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता का प्रबंधन, तनीषा हमेरिया ने शहरी विकास के कारण हो रहे दुष्प्रभाव, जुनेब मस्ताक ने विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का धरातलीय और सैटेलाइट विश्लेषण की शोध रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के भौतिक विज्ञान विभाग के डा. रमेश चंद ने सोलर इरप्शन पर व्याख्यान दिया। सेंट्रल फार इनवायरनमेंटल एंड क्लाइमेट चेंज के वैज्ञानिक जी डा. जगदीश चंद्र कुनियाल ने ब्लैक कार्बन, एयरोसोल और आप्टिकल डैप्थ पर प्रकाश डाला।
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