Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में मौसम का रेड अलर्ट, सात जिलों में स्कूलों में अवकाश, प्रशासन सतर्क
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार शुक्रवार को कहीं-कहीं अत्यंत भारी वर्षा होने का अनुमान है। जबकि शनिवार को भी बहुत भारी वर्षा को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। खासकर कुमाऊं में वर्षा मुश्किल बढ़ा सकती है।
By Jagran NewsEdited By: Sumit KumarUpdated: Thu, 06 Oct 2022 08:57 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Weather Update मौसम के रेड अलर्ट के बीच उत्तराखंड में भारी वर्षा का दौर शुरू हो गया है। पहाड़ से लेकर मैदान तक रुक-रुककर मेघ बरस रहे हैं। कुमाऊं मंडल के ऊधमसिंह नगर को छोड़कर सभी पांच जिलों में स्कूलों में शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया गया है। गढ़वाल में पौड़ी और उत्तरकाशी जिले में आज स्कूल बंद रहेंगे। अन्य जिलों में प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीमों को सतर्क कर दिया गया है।
उत्तरकाशी से मानसून की विदाई शुरू
उत्तराखंड में मानसून की विदाई से पहले मौसम के तेवर बदल गए हैं। उत्तरकाशी से मानसून की विदाई शुरू हो गई है। वहीं, कुमाऊं में भारी वर्षा का क्रम बना हुआ है। गुरुवार को प्रदेश में कई स्थानों पर भारी वर्षा के दो से तीन दौर हुए। हालांकि, अभी किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन सभी जिलों को अलर्ट पर रखा गया है।
शनिवार को आरेंज अलर्ट किया जारी
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, शुक्रवार को कहीं-कहीं अत्यंत भारी वर्षा होने का अनुमान है। जबकि, शनिवार को भी बहुत भारी वर्षा को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। खासकर कुमाऊं में वर्षा मुश्किल बढ़ा सकती है। इस दौरान नदी-नालों के किनारे बाढ़ के हालात, मैदानों में जलभराव होने की संभावना है। पर्वतीय क्षेत्रों में चट्टानें खिसकने के साथ भूस्खलन हो सकता है। चोटियों पर हिमपात का अनुमान है।भारी वर्षा-ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान
बुधवार रात हुई भारी वर्षा और ओलावृष्टि से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में धान की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में कृषि विभाग ने भी किसानों के लिए एडवायजरी जारी की है। कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि प्रदेश में अभी फसलों को बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन किसानों से सतर्क रहने की अपील की गई है। उन्होंने कटी हुई फसल को ढकने और धान की पकी फसल को तत्काल काटने की सलाह दी है। साथ ही अभी तक फसलों को हुए नुकसान का आकलन भी किया जा रहा है।
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