Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarakhand Weather Update: पांच साल में सबसे 'सूखा' शीतकाल, स्नो फॉल को तरसे मसूरी-नैनीताल; जानें- क्या कहते हैं मौसम विशेषज्ञ

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jan 2021 07:25 AM (IST)

    Uttarakhand Weather Update इस शीतकाल में उत्तराखंड बारिश और बर्फबारी को तरस रहा है। पूरे सीजन में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है। मसूरी-नैनीताल में बर्फबारी की आस लगाए बैठे पर्यटकों को भी मायूसी ही मिली है।

    Hero Image
    पांच साल में सबसे 'सूखा' शीतकाल। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Weather Update इस शीतकाल में उत्तराखंड बारिश और बर्फबारी को तरस रहा है। पूरे सीजन में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई। मसूरी-नैनीताल में बर्फबारी की आस लगाए बैठे पर्यटकों को भी मायूसी ही मिली। पिछले पांच साल में यह पहला मौका है, जब बारिश और बर्फबारी के लिहाज से उत्तराखंड सूखा रहा। पिछले साल की तुलना में तो बारिश-बर्फबारी का आंकड़ा इस बार कई गुना कम रहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मानसून में सामान्य से 20 फीसद कम बारिश होने के बाद शीतकाल में अच्छी बारिश और बर्फबारी की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन मेघों की बेरुखी और बढ़ गई। इसके बाद से बारिश सामान्य से आधी भी नहीं हुई। अक्टूबर से जनवरी तक सामान्य से 71 फीसद कम बारिश हुई है। जबकि, पिछले साल शीतकाल में मेघ सामान्य से 88 फीसद अधिक बरसे थे। हालांकि, वर्ष 2016 से ही प्रदेश में बारिश का सिलसिला सामान्य से बेहद कम रहा है, लेकिन इस बार यह पांच साल में सबसे कम पहुंच गया।

    उत्तराखंड में बारिश की स्थिति

    माह, सामान्य बारिश, वास्तविक बारिश, अंतर

    अक्टूबर, 30.30, 0.1, -99

    नवंबर, 7.2, 9.6, 34

    दिसंबर, 18.0, 8.1, -55

    जनवरी, 33.1, 27.3, -18

    कुल, 78.0, 23.0, -71

    (नोट: बारिश मिलीमीटर में और अंतर फीसद में है।)

    पांच साल में शीतकाल में बारिश की स्थिति

    2020: सामान्य से 88 फीसद अधिक

    2019: सामान्य से 70 फीसद कम

    2018: सामान्य से 66 फीसद कम

    2017: सामान्य से 65 फीसद कम

    2016: सामान्य से 82 फीसद कम

    तीन साल बाद बर्फबारी से वंचित मसूरी

    इस बार मसूरी और नैनीताल में अब तक एक बार भी हिमपात नहीं हुआ है। जबकि, चारधाम समेत अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में भी महज दो से तीन बार ही बर्फ गिरी है। सामान्य तौर पर शीतकाल में ज्यादातर चोटियों पर तीन से पांच बार हिमपात हो जाता है। मसूरी में भी यह आंकड़ा एक से दो बार रहता है। देहरादून स्थित राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि वर्ष 2013 की जनवरी में मसूरी में तीन बार बर्फबारी हुई। उसके बाद यह क्रम एक या दो बार ही रहा, जबकि वर्ष 2015 और 2017 में यहां हिमपात नहीं हुआ था। अब 2021 में भी मसूरी में बर्फ नहीं गिरी। इसके अलावा ऊंची चोटियों पर भी केवल एक बार (पांच-छह जनवरी) हिमपात हुआ। 

    स्नो लाइन में आ रहा बदलाव

    मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तराखंड में स्नो लाइन में भी बदलाव आ रहा है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता घटने और चक्रवाती प्रवाह हिमालय की तलहटी तक न पहुंच पाने के कारण बर्फबारी का दायरा सिमट रहा है। आमतौर पर बादलों में कम पानी होने से पूरे सीजन में 2500 मीटर से कम ऊंचाई की पहाड़ियों पर बर्फबारी नहीं हो पाती। पिछले कुछ वर्षों में यह देखने को मिला है कि उच्च हिमालयी चोटियों पर तो अच्छी बर्फबारी हुई, लेकिन मसूरी, नैनीताल जैसी निचली पहाड़ियां वंचित रहीं।

    यह भी पढ़ें- Uttarakhand Weather Update: शीतलहर की चपेट में मैदानी इलाके, दो जिलों में पारा शून्य से नीचे