हिमालयन हॉस्पिटल में लगेगा उत्तराखंड का पहला पेट-स्कैन, मरीजों को नहीं जाना पड़ेगा बाहर
हिमालनय इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के अधीन कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीआरआई) जौलीग्रांट उत्तराखंड का पहला और एकमात्र पेट-स्कैन (पीईटी-पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी) सुविधायुक्त अस्पताल बनने जा रहा है। कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि 19 नवंबर को इस सुविधा का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 18 Nov 2020 07:46 AM (IST)
डोईवाला, जेएनएन। हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान (हिमालनय इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के अधीन कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीआरआई) जौलीग्रांट उत्तराखंड का पहला और एकमात्र पेट-स्कैन (पीईटी-पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी) सुविधायुक्त अस्पताल बनने जा रहा है। कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि 19 नवंबर को इस सुविधा का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा। इसके बाद उत्तराखंड के मरीजों को पेट-स्कैन के लिए उत्तराखंड से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि मरीजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सुविधा देने को हम प्रतिबद्ध हैं। मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हिमालयन अस्पताल और कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीआरआई) में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है।
इसी कड़ी में अब संस्थान के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट में पेट-स्कैन सुविधा शुरू करने जा रहे हैं। कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के रोगियों को वर्तमान में पेट-स्कैन की जांच के लिए मेरठ, दिल्ली या चंडीगढ़ जाना पड़ता था। 19 नवंबर के बाद अब उन्हें पेट-स्कैन की स्वास्थ्य जांच की सुविधा मेडिकल कॉलेज के कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट में ही मिलनी शुरू हो जाएगी। यह सुविधा शुरू होने के बाद रोगियों को राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही राज्य के बाहर से आने वाले रोगियों को भी इसका लाभ मिलेगा।
समय पर उपचार और लागत में कमी
कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि समय रहते अगर कैंसर रोग की पहचान हो जाए तो इस रोग का इलाज संभव है अन्यथा जरा सी लापरवाही मरीजों के लिए जानलेवा बन जाती है। पेट-स्कैन से कैंसर रोग की सटीक जांच हो पाती है। सीआरआई जौलीग्रांट में पेट-स्कैन शुरू होने से मरीजों का खर्चा भी कम होगा और तुरंत उपचार भी शुरू किया जा सकेगा। यह भी पढ़ें: महिला के पेट से निकाला गया 12.7 किलोग्राम का ट्यूमर, पांच घंटे तक चली ये जटिल सर्जरी
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