Move to Jagran APP

Uttarakhand Winter Update: नवंबर में भी ठंड नहीं, आखिर क्या है वजह? मैदानी क्षेत्रों में छाई धुंध

उत्तराखंड में नवंबर के पहले पखवाड़े में भी सर्दी का एहसास नहीं हो रहा है। मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक बना हुआ है। आने वाले चार दिनों में भी मौसम शुष्क रहने की संभावना है। तीन अक्टूबर को मानसून के उत्तराखंड से विदा होने के बाद अभी तक मैदानी क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई है।

By Ashok Kumar Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 12 Nov 2024 02:43 PM (IST)
Hero Image
नवंबर में भी ठंड नहीं, आखिर क्या है वजह? - प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रदेशभर में वर्षा न होने से मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया जा रहा है, जिससे नवंबर के पहले पखवाड़े में भी सर्दी का एहसास नहीं हो रहा है। दून और ऊधमसिंह नगर का न्यूनतम तापमान सोमवार को सामान्य से चार डिग्री अधिक क्रमश: 16.2 और 16.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मुक्तेश्वर और टिहरी जैसे पहाड़ी क्षेत्रों का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस अधिक बना रहा। इससे इन क्षेत्रों में इस समय जितनी ठंड होनी चाहिए, उसका इस बार एहसास नहीं हो रहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले चार दिनों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। मैदानी क्षेत्र देहरादून, रुड़की, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में सुबह के समय कुहासा व धुंध छाए रहने की संभावना है। दोपहर के समय पहाड़ी क्षेत्रों में जटख धूप खिली रहने का अनुमान है। दून का अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक 27.8 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक 16.1 डिग्री सेल्सियस रहा।

तीन अक्टूबर को लौटा था मानसून, इसके बाद अब तक नहीं हुई वर्षा

इस बार तीन अक्टूबर को मानसून के उत्तराखंड से विदा होने के बाद अभी तक मैदानी क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई है, जिससे तापमान अब भी सामान्य से अधिक बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार दून समेत मैदानी क्षेत्रों में सुबह कुहासा व धुंध छाने के आसार हैं। अन्य जिलों में मौसम शुष्क बना रह सकता है। तापमान में कहीं-कहीं मामूली गिरावट के आसार हैं। फिलहाल प्रदेश में वर्षा के आसार नहीं हैं।

गुजरता रहा मौसम, नहीं हटे बोल्डर

कोटद्वार : मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद सड़कों से गड्ढे भरना तो दूर, सरकारी महकमों ने उन बोल्डरों को अब तक हटाने की जहमत नहीं उठाई, जो पिछले दो वर्ष से सड़क किनारे पड़े हैं। बात प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज की चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले सतपुली-दुधारखाल-घेरूवा-कोटनाली मोटर मार्ग की करते हैं।

बीते वर्ष वर्षाकाल में सड़क पर आए मलबे को साफ कर लोक निर्माण विभाग की लैंसडौन इकाई ने यातायात तो सुचारू करवा दिया, लेकिन सड़क में आए बोल्डरों को हटाने की जहमत आज तक नहीं उठाई। हैरानी की बात तो यह है कि सड़क किनारे बोल्डर होने के कारण वाहन चालक जान जोखिम में डाल सड़क किनारे कच्चे हिस्से से अपने वाहनों को निकाल रहे हैं। लेकिन, सरकारी तंत्र की नींद नहीं टूट रही।

बीते दिनों अल्मोड़ा जिले के मर्चूला में हुए बस हादसे में 37 लोगों की जान चली गई। कारणों की पड़ताल हुई तो पता चला कि बस का पट्टा टूटने के बाद बस अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। सड़क किनारे क्रैश बैरियर न लगा होना भी दुर्घटना का मुख्य कारण रहा। अब बात सतपुली-दुधारखाल-घेरूवा-कोटनाली मोटर मार्ग की करते हैं, जहां सड़क किनारे क्रैश बैरियर लगाना तो छोड़िए, लोक निर्माण विभाग की लैंसडौन इकाई वाहनों को सड़क के कच्चे हिस्से में ले जाने के लिए विवश कर रही है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।