साइबर अपराध के लिए उत्तराखंड के युवाओं की तस्करी, चार शहरों के युवकों को कंबोडिया के रास्ते भेज रहे म्यांमार
Cyber Crime साइबर ठगों ने उत्तराखंड के युवाओं को साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। नौकरी का झांसा देकर युवाओं का कंबोडिया का वीजा बनवाया जा रहा है जहां से उन्हें अवैध तरीके से म्यांमार ले जाया जा रहा है। वहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी की जा रही है। इन युवाओं को स्वदेश लाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने एंबेसी से संपर्क किया है।
तीन जिलों में दर्ज हो चुके हैं मुकदमे
इन्हीं युवाओं के दस्तावेजों से खोले जा रहे बैंक खाते
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि विदेश में बैठे साइबर ठग इन्हीं युवाओं के दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खुलवाते हैं, जिनमें ठगी की रकम मगवाई जाती है। मोबाइल नंबर भी इन्हीं के दस्तावेजों पर लिए जाते हैं। नंबर भारत का होने के चलते लोग जल्द ही उन पर विश्वास कर लेते हैं, और ठगी के शिकार हो जाते हैं।विदेश में नौकरी की चाह रखने वाले युवाओं को अवैध तरीके से म्यांमार से कंबोडिया भेजे जाने व उनसे साइबर ठगी करवाने के मामले सामने आए हैं। जिनकी जांच की जा रही है। इन युवाओं को कुछ प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से विदेश भेजा गया है। ऐसे में एजेंसियों की जांच भी की जा रही है। विदेश में फंसे इन युवाओं को स्वदेश लाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। नए तरीके से साइबर ठगी के अब तक तीन मुकदमे विभिन्न जिलों में दर्ज किए जा चुके हैं।
- आयुष अग्रवाल, एसएसपी, एसटीएफ
एआइ से आवाज बदलकर चिकित्सक से ठगे साढ़े 12 लाख रुपये
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से साइबर ठगों ने देहरादून के मैक्स अस्पताल की एक महिला चिकित्सक को बेटे की गिरफ्तारी का खौफ दिखाकर साढ़े 12 लाख रुपये ठग लिए। मामले में चिकित्सक ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है। डालनवाला कोतवाली में दी गई शिकायत में मैक्स अस्पताल की चिकित्सक डा. दीपा निवासी डालनवाला ने कहा कि 25 जुलाई को अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर खुद को थानाध्यक्ष बताया और कहा कि उनका बेटा दुष्कर्म के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में बेटे के तीन और साथियों को भी गिरफ्तार किया गया है। बेटा देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र स्थित यूपीईएस विवि में प्रोफेसर है।यह भी पढ़ें- Cyber Crime: साइबर अपराधियों को नहीं मिल रही सजा, चार साल में आंकड़ा शून्य फोन करने वाले ने कहा कि बेटे को जेल जाने से बचाना है तो इसके लिए रुपये देने पड़ेंगे। इस दौरान बेटे की रोते हुए आवाज भी सुनाई और जल्द से जल्द रुपये भेजने को कहा। चिकित्सक ने बताया कि खौफ में आकर आरोपित के खाते में 90 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर और साढ़े 11 लाख रुपये बैंक जाकर आरटीजीएस के माध्यम से भेजे।दिन भर चले घटनाक्रम के बाद शाम को बेटे को फोन किया तो पता चला कि वह विश्वविद्यालय में है और सकुशल है। बेटे ने ऐसी किसी भी घटना से इन्कार किया। इसके बाद चिकित्सक को ठगी का पता चला और पुलिस को ठगों के विरुद्ध तहरीर दी। डालनवाला कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक मनोज नैनवाल ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है। आरोपितों ने चिकित्सक के बेटे की आवाज को एआइ की मदद से सुनाया था। तीन से पांच सेकेंड की आवाज से वायस क्लोनिंग सीओ साइबर अंकुश मिश्रा ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी की भी आवाज की नकल करने के लिए सिर्फ तीन से पांच सेकंड का वीडियो चाहिए।साइबर अपराधी फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं। इसके बाद वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन किया जाता है। आवाज की क्लोनिंग ऐसी होती है कि पति-पत्नी, पिता पुत्र तक आवाज नहीं पहचान पा रहे हैं।ठगी से बचाव के लिए करें यह उपाय
- अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड रखें, एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें।
- यदि दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में रुपये के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके कंफर्म कर लें।
- साइबर ठगी के शिकार होने पर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।