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उत्‍तराखंड के तकनीकी संस्थान खर्च नहीं सके 28 करोड़, जानिए क्‍या है इनकी स्थिति

प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के हाल किसी से छुपे नहीं हैं। आलम यह है कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश के तकनीकी संस्थानों की करीब 80 फीसद सीटें खाली रही हैं। प्रदेश को केंद्र सरकार ने टेक्युप योजना का सहारा देकर पार लगाने का विकल्प दिया था।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Sat, 13 Mar 2021 06:30 AM (IST)
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प्रदेश को मिले बजट में से सवा 28 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सके हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून : प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के हाल किसी से छुपे नहीं हैं। आलम यह है कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश के तकनीकी संस्थानों की करीब 80 फीसद सीटें खाली रही हैं। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा की डूबती नैया को केंद्र सरकार ने टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इम्प्रूवमेंट (टेक्युप) योजना का सहारा देकर पार लगाने का विकल्प दिया था, लेकिन तकनीकी संस्थान एवं सरकार का सुस्त रवैया इसमें रोड़ा बन रहा है। तकनीकी शिक्षा की खराब हालत के बावजूद संस्थान टेक्युप के तहत प्रदेश को मिले बजट में से सवा 28 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सके हैं। अब यह पैसा सरेंडर होने की कगार पर है।

केंद्र सरकार ने टेक्युप के तहत देशभर में तकनीकी शिक्षा के उत्थान के लिए कई राज्यों को आर्थिक सहायता दी। उत्तराखंड को कुल एक अरब 18 करोड़ 30 लाख रुपये का बजट मिला था। यह बजट उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, तकनीकी विवि के संघटक सात तकनीकी संस्थानों एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हिस्से आया था। वर्ष 2017 में शुरू हुई योजना के तहत आवंटित बजट जुलाई 2017 से सितंबर 2020 तक खर्च करने का लक्ष्य था। हालांकि, कोरोना एवं दूसरे कारणों से बजट खर्च करने का समय 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया। बावजूद इसके एक भी संस्थान पूरा बजट खर्च नहीं कर सका है। संघटक संस्थानों की बात करें तो बजट खर्च करने में पौड़ी स्थित गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज सबसे अव्वल है, जिसने 91.93 फीसद बजट खर्च कर लिया है। वहीं, पिथौरागढ़ स्थित नन्ही परी सीमांत इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज सबसे फिसड्डी साबित हुआ है, जिसने 67.29 फीसद ही बजट खर्च किया है। ओवर ऑल रिपोर्ट देखें तो खर्च करने में एनआइटी श्रीनगर सबसे पीछे रहा जो मात्र 54.92 फीसद बजट ही खर्च सका। तकनीकी विवि भी 67. 84 फीसद का आंकड़ा ही छू सका। कुल आवंटित बजट में से 28 करोड़ 15 लाख 28 हजार 938 रुपये का बजट अब तक खर्च नहीं हो सका।

निदेशक न होना है मुख्य कारण

सरकारें तकनीकी संस्थानों के उत्थान के लिए चाहे जितना मर्जी बजट जारी कर दें, लेकिन इसे खर्च करने वाला ही नियुक्त नहीं होगा तो बजट क्या फायदा। यही हाल प्रदेश के तकनीकी संस्थानों का भी है। तकनीकी विवि के चार संघटक संस्थान गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज पौड़ी, बीटीकेआइटी द्वाराहाट, नन्ही परी सीमांत इंजीनियङ्क्षरग इंस्टीट्यूट, पिथौरागढ़ और टीएचडीसी आइएचईटी कॉलेज में तो निदेशक ही नियुक्त नहीं हैं। चारों संस्थान जिलों के जिलाधिकारी के अधीन हैं। ऐसे में नियमित समीक्षा की कमी के चलते यहां बजट खर्च नहीं हो सका।      

 राज्य परियोजना टेक्युप के प्रशासक  प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार पांडा का कहना है कि टेक्युप के तहत आवंटित बजट में से करीब 76 फीसद खर्च हो चुका है। केवल संघटक कॉलेजों की बात करें तो 81 फीसद बजट खर्च किया जा चुका है। कई संस्थानों का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा। लंबे समय से संस्थानों को बजट खर्च करने को कहा जा रहा है, शासन स्तर पर भी इसके लिए बातचीत जारी है। 31 मार्च तक 80 फीसद बजट खर्च करने की कोशिश है।

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किस संस्थान में क्या है स्थिति

संस्थान का नाम---------------आवंटित बजटम---------------अब तक खर्च, खर्च (फीसद में)

कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, पंतनगर---------------100000000--------------- 81235701, 81.24

गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, पौड़ी---------------181500000---------------- 166850816, 91.93

इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गोपेश्वरम--------------- 110000000--------------- 90349779, 81.14

बीटीकेआइटी, द्वाराहाटम--------------- 150000000--------------- 102076581, 68. 05

नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट, पिथौरागढ़------------- 100000000-----------67289550, 67.29

टीएचडीसी आइएचईटी, टिहरी--------------- 110000000--------------- 91476521, 83.16

महिला तकनीकी संस्थान, देहरादून--------------- 110000000--------------- 99788900, 90.72

उत्तराखंड तकनीकी संस्थान देहरादून--------------- 200000000--------------- 135671888, 67.84

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी उत्तराखंड--------------- 121500000--------------- 66732326, 54.92

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