स्वाद और पौष्टिकता से भरी है पहाड़ी थाली, कई बीमारियों को भगाएगी दूर
पहाड़ी अनाज न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि ये पौष्टिकता से भी भरपूर है। लोगों को इनसे बने व्यंजन बेहद भा रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 04 Mar 2019 08:06 AM (IST)
देहरादून, दीपिका नेगी। उत्तराखंड का पारंपरिक खानपान गुणवत्ता और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभकारी माना गया है। यहां की बारानाजा फसलों में मुख्य रूप से मंडुवा (रागी), झंगोरा, काले भट, कुट्टू, चौलाई, लोबिया, तिल, गहथ (कुलथ), तोर आदि को शामिल किया गया है। यह उत्पाद पौष्टिकता के साथ ही औषधीय गुणों से भी लबरेज हैं। यही वजह है कि बदलते दौर में लोग पारंपरिक खानपान में रुचि लेने लगे हैं। भारत ही नहीं विदेशों में भी पहाड़ के मंडुवा, झंगोरा, काले भट, गहथ, तिल आदि अपनी मार्केट बना रहे हैं।
सबको भा रही गढ़वाली थालीपहाड़ी खुशबू और जायके से लबरेज स्पेशल गढ़वाली थाली अपने-आप में खास है। पहाड़ के स्वाद को थाली में परोसे जाने के बाद से इस खाने के विदेशी भी मुरीद हो गए हैं। यही वजह है कि आज तमाम होटल-रेस्टोरेंट में पारंपरिक व्यंजनों को परोसा जाने लगा है। दून के राजपुर रोड स्थित गढ़भोज रेस्टोरेंट के मालिक लक्ष्मण सिंह रावत बताते हैं कि उन्होंने 2017 में गढ़वाली खानपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रेस्टोरेंट खोला। शुरुआत में काफी चुनौतियां पेश आईं, क्योंकि आमतौर पर लोग साउथ इंडियन, चाइनीज और इटेलियन व्यंजनों की ज्यादा मांग करते हैं।
करीब दस महीने लगे उन्हें खानपान का न्यूट्रीशन वैल्यू के साथ मीनू कार्ड तैयार करने में। अब दूसरे राज्यों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी गढ़वाली व्यंजनों का बड़े चाव से लुत्फ लेते हैं। इनमें गहथ का फाणु, भटवाणी, पहाड़ी मिक्स दाल, मंडुवे की रोटी, कंडाली का साग, झंगोरा की खीर जैसे मुख्य व्यंजन शामिल हैं।
बाजार में जगह बना रहे मंडुवा, गहथ और तिल के बिस्कुट दून में कई बेकर्स मंडुवे, गहथ, तिल, भट, मक्का आदि से बने बिस्कुट की बिक्री कर रहे हैं। धर्मपुर रोड स्थित उनियाल बेकर्स के मालिक गोविंद राम उनियाल ने दस साल पहले मंडुवे, गहथ और तिल के बिस्कुट बनाने शुरू किए थे। वह बताते हैं कि धीरे-धीरे इनकी डिमांड बढ़ रही है। अब तो ऑर्डर पर वह मंडुवे से बने बर्गर, पिज्जा भी तैयार करते हैं।
सेहत का खजाना
देहरादून के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी बताते हैं कि पहाड़ी अनाज सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। मंडुवा मधुमेह की बीमारी में बेहद कारगर है। यह शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। झंगोरा पेट संबधी बीमारियों को दूर करता है। काले भट में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है। गहथ की दाल की तासीर गर्म होने के कारण यह गुर्दे की पथरी में बेहद फायदेमंद है।
लोगों को मिल रहा रोजगारउत्तराखंड में कृषि के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हार्क (हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र सिंह कुंवर बताते हैं कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलने से पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को भी आर्थिक मदद मिल रही है। संस्था चमोली, उत्तरकाशी, देहरादून, बागेश्वर आदि जिलों में पहाड़ी अनाजों की खेती और उत्पादों को बढ़ावा देने का काम कर रही है। संस्था के अधीन 38 संगठन काम कर रहे हैं और करीब 45 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है।
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