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Uttarkashi Tunnel Rescue: अब आपदामुक्त विकास पर फोकस, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम से ही मिलेगी कामयाबी

उत्तराखंड में मंगलावार को छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुभव पर आधारित पुस्तक रेजिलिएंट इंडिया का विमोचन भी किया। इस पुस्तक में बताया गया है कि किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के आपदा प्रबंधन माडल को बदलकर ज्यादा प्रभावी बनाया है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 29 Nov 2023 03:14 AM (IST)
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अब आपदामुक्त विकास पर फोकस। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में देश-विदेश के आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशेषज्ञ आपदा की चुनौतियों से निबटने को मंथन में जुट गए हैं। पहले दिन हुए विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों ने विमर्श किया।

इससे पहले सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में पद्मभूषण पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि देश आपदा प्रबंधन के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन अब आपदामुक्त विकास की बात की जानी चाहिए। हमारे लिए विकास आवश्यक है, लेकिन यह भी देखना होगा कि वहां आपदा की संभावना बिल्कुल न्यूनतम हो। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन पर अब तक हुए पांच विश्व सम्मेलनों में आए सुझावों पर भी गौर करने की आवश्यकता है। 

उत्तराखंड व अंडमान एवं निकोबार आपदा के मामले में समान

अंडमान एवं निकोबार के उप राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी (सेनि) ने कहा कि उत्तराखंड और अंडमान एवं निकोबार आपदा के मामले में काफी करीब हैं। अंडमान एवं निकोबार में सुनामी व तूफान आते हैं तो उत्तराखंड भूस्खलन, अतिवृष्टि जैसी आपदाओं से जूझता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी का बेहतर उपयोग कर हम आपदा से क्षति की संभावनाओं को कम से कम कर सकते हैं। 

अर्ली वॉर्निंग सिस्टम में काफी सुधार कर चुका है भारत

संयुक्त राष्ट्र में रेजिडेंट कोआर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा कि आपदाएं प्राकृतिक व मानवजनित दोनों होती हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ भारत को हरसंभव मदद के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि आज विश्व के 125 देशों के पास आपदा प्रबंधन नीति का तंत्र है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत अर्ली वार्निंग सिस्टम में काफी सुधार कर चुका है। इससे यहां किसी भी आपदा के आने पर 24 घंटे पहले सूचना मिल जाती है, जिससे क्षति को न्यून करने और जनता को संभलने का अवसर मिल जाता है। 

डीआरआर पर करना होगा काम

एनडीएमए के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र रत्नू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है। यह पूरे विश्व में चर्चा के केंद्र में है। इसे देखते हुए हमें डीआरआर (डिजास्टर रिस्क रिडक्शन) पर काम करना होगा। 

रेजिलिएंट इंडिया का विमोचन

सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुभव पर आधारित पुस्तक रेजिलिएंट इंडिया का विमोचन भी किया। पुस्तक में बताया गया है कि किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के आपदा प्रबंधन माडल को बदलकर ज्यादा प्रभावी बनाया है।

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