उत्तराखंड के पंचायती राज एक्ट में फिर संशोधन की तैयारी, पढ़िए पूरी खबर
पंचायती राज एक्ट में फिर संशोधन की तैयारी है। इस संबंध में शासन स्तर पर मसौदा तैयार करने के मद्देनजर कवायद शुरू हो गई है।
By Edited By: Updated: Tue, 19 Nov 2019 04:34 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के पंचायती राज एक्ट में फिर संशोधन की तैयारी है। क्षेत्र पंचायतों में प्रमुख, ज्येष्ठ और कनिष्ठ उपप्रमुख और जिला पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों के निर्वाचन से जुड़े विवादों के निपटारे के संबंध में एक्ट में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण अब इस बिंदु को एक्ट में शामिल किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में शासन स्तर पर मसौदा तैयार करने के मद्देनजर कवायद शुरू हो गई है।
हरिद्वार को छोड़ शेष जिलों में हाल में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान तमाम पदों पर निर्वाचन से जुड़े विवाद सामने आए थे। तमाम मामलों में लोगों ने हाईकोर्ट की शरण ली। सूत्रों ने बताया कि इस सबके मद्देनजर जब राज्य के पंचायतीराज एक्ट को खंगाला गया, तो बात सामने आई कि मूल एक्ट और संशोधित एक्ट में प्रमुख, उपप्रमुख, जिपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों के निर्वाचन से जुड़े विवादों के निबटारे के बारे में व्यवस्था नहीं दी गई है। यही नहीं, त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचन के मद्देनजर अभी नियमावली पर भी मुहर लगना बाकी है। हालांकि, 12 जिलों में हुए पंचायत चुनाव में एक्ट उत्तराखंड का था, लेकिन निर्वाचन को उप्र की नियमावली से काम चलाया गया।
अब पंचायत निर्वाचन से जुड़े विवादों के सामने आने पर शासन ने आदेश दिए हैं कि फिलहाल ऐसे मामलों में उत्तराखंड में उप्र पंचायत राज (निर्वाचन विवादों का निपटारा) नियमावली-1994 प्रभावी रहेगी। राज्य के पंचायतीराज एक्ट में यह प्रावधान होने तक ये व्यवस्था लागू रहेगी। सूत्रों ने बताया कि एक्ट में ऐसी व्यवस्था करने के मद्देनजर संशोधन के सिलसिले में मसौदा तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। फिर इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
गौरतलब है कि 2016 में अस्तित्व में आए राज्य के पंचायतीराज एक्ट में अब दो बार संशोधन हो चुके हैं। पहले संशोधन में चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त, शैक्षिक योग्यता का निर्धारण किया गया। इसके बाद सहकारी समितियों के सदस्यों को चुनाव लड़ने की छूट देने संबंधी संशोधन किया जा चुका है।
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