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वासंतिक नवरात्र आरंभ, मुख्‍यमंत्री ने हिंदू नववर्ष और नवरात्रि की दी शुभकामनाएं

वासंतिक नवरात्र आज से आरंभ हो गए हैं लेकिन कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं की दुविधा है कि वह इन हालात में कैसे नवरात्र का पूजन करे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 25 Mar 2020 09:45 PM (IST)
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वासंतिक नवरात्र आरंभ, मुख्‍यमंत्री ने हिंदू नववर्ष और नवरात्रि की दी शुभकामनाएं
देहरादून, जेएनएन। वासंतिक नवरात्र आज से आरंभ हो गए हैं! लॉकडाउन चलते लोग सुबह घरों से बाहर निकले और माता की पूजा के लिए नारियल, चुनरी आदि सामग्री की खरीदारी की। लोगों ने घरों में ही कलश स्‍थापना और पूजा की। वहीं, लॉकडाउन के चलते अधि‍कांश मंदिर बंद हैं, जबकि कुछ मंदिरों में पुजारियों ने ही पूजा अर्चना की।

मुख्‍यमंत्री ने हिंदू नववर्ष और नवरात्रि की दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिंदू नववर्ष विक्रमी संवत 2077 और चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुख-समृद्धि बनी रहे, माता रानी से ऐसी कामना है। प्रदेशवासियों से विनम्र निवेदन है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखें। घर के अंदर रहकर ही माता रानी की पूजा-अर्चना करें। कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकें।

रुड़की में मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की

चैत्र नवरात्र बुधवार से प्रारंभ हो गए हैं। प्रथम नवरात्र पर शहर के मंदिरों में घट स्थापना की जा रही है। लाक डाउन के चलते इस बार केवल मंदिर के पुजारी की ओर से ही पूजा- अर्चना की जा रही है। शहर के प्रसिद्ध साकेत स्थित दुर्गा चौक मंदिर में भी विधि-विधान के साथ कलश स्थापना की गई। वहीं मंदिर में कुछ श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं। हालांकि, मंदिर के मुख्य पुजारी की ओर से पहले ही श्रद्धालुओं से जनहित में घर में रहकर ही पूजा-अर्चना करने का आह्वान किया गया था। उधर, लाक डाउन के चलते अधिकांश श्रद्धालु घर पर ही परिवार के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना कर रहे हैं।

कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं की दुविधा है कि वह इन हालात में कैसे नवरात्र का पूजन करे। इसी को देखते हुए सभी प्रमुख संतों ने श्रद्धालुओं का लोक आस्था के इस महापर्व को घरों में ही मनाने और मठ-मंदिरों में भीड़ एकत्र न करने करने का आह्वान किया है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी से मानवता की रक्षा के लिए मठ-मंदिर पहले ही श्रद्धालुओं के लिए बंद किए जा चुके हैं। ऐसे में मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए घरों से निकलना स्वयं के साथ ही स्वजनों, समाज और राष्ट्र को खतरे में डालने वाला कदम होगा। वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए सिद्धपीठ मां डाटकाली मंदिर में पुजारी यज्ञ और पाठ कर रहे हैं।

मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि कोरोना के चलते श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट 31 मार्च तक बंद रखे हैं। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि घर पर ही बैठकर पूजा करें। श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश निषेध के लिए मंदिर गेट पर बैनर चस्पा कर दिया है। नवरात्र में भी सिर्फ मंदिर के पुजारी नित्य पूजा करेंगे। संत-महात्माओं का कहना है कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ के भाव को चरितार्थ करते हुए घरों में रहकर स्वजनों के साथ व्रत का पालन करें, भजन-पूजन करें और परिवार, समाज एवं राष्ट्र की खुशहाली की कामना करें। 

  • श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या, भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने सलाह दी है कि व्रती घरों से बाहर निकलें और न कीर्तन आदि का आयोजन ही करें।
  • स्वामी अवधेशानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर (श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, हरिद्वार) का कहना है कि समाज एवं राष्ट्र की रक्षा को मठ-मंदिरों में आमजन और श्रद्धालुओं के प्रवेश को पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। मंदिरों में नित्य प्रति के पूजा-अनुष्ठान आदि कार्य वहां मौजूद पुजारी, ब्रह्मचारी आदि कर रहे हैं। वह रोजाना सभी श्रद्धालुओं की ओर से भी आहुति डाल रहे हैं और सभी की बेहतरी के साथ समाज एवं राष्ट्र की रक्षा-सुरक्षा की कामना व प्रार्थना कर रहे हैं। इसलिए घरों में ही रहकर नवरात्र का पूजन करें। 
  • महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद (परमाध्यक्ष अखंड परमधाम, हरिद्वार) का कहना है कि लॉक डाउन से मां के भक्तों को पूजन-अर्चन में थोड़ी परेशानी जरूर होगी, लेकिन सभी को एकता एवं अनुशासन का परिचय देना जरूरी है। घर पर ही श्रद्धाभाव से मां की आराधना करें। दुर्गा सप्तशती और नवदुर्गा का पाठ परिवार के साथ करें।
  • स्वामी रविंदर पुरी (सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा, पीठाधीशवर दक्ष प्रजापति मंदिर) का कहना है कि कोरोना महामारी से लड़ाई में चैत्र नवरात्र के दौरान बरता गया संयम निर्णायक साबित हो सकता है। बस, आप अंतर्मन की पूजा की अहमियत को समङों और इस अवधि में मां दुर्गा को अंतर्मन में बसाकर उनकी पूजा करें। यह जान लें कि खुद को घरों में कैदकर आप कोरोना वायरस की चेन को तोड़ रहे हैं। घरों में रहकर की गई मां की पूजा-अर्चना भी उतनी ही फलदायी होती है, जितनी मठ-मंदिरों में की गई पूजा।
  • स्वामी अच्युतानंदन तीर्थ (भूमा पीठाधीश्वर) का कहना है कि भक्त घर पर ही देवी के चित्र के सामने श्रद्धाभाव से आराधना करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा के लिए घरों से बाहर निकलने की कतई कोशिश न करें। ऐसा कर आप स्वयं के साथ ही परिवार एवं समाज का भी अहित करेंगे।
  • स्वामी रूपेंद्र प्रकाश (श्रीमहंत प्राचीन अवधूत मंडल) का कहना है कि वर्तमान एकता, अनुशासन, संयम और सहयोग का भाव ही मां की सच्ची पूजा है। मानवता की सेवा से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है। इसलिए मां की पूजा एकांत में ही करें। किसी भी रूप में घर से बाहर न निकलें। 
नवरात्र पूजन को जरूरी नहीं घट स्थापना

लॉक डाउन के कल्याणकारी भाव को समझते हुए मां आद्य शक्ति का घरों में ही पूजन करें। आपके अंदर भी मठ-मंदिर विराजमान हैं, वहीं मां की मूर्ति को प्रतिष्ठित कर उनका पूजन करें। यही वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है और यही मानवता की सच्ची सेवा भी है। कोरोना महामारी के खिलाफ जो जंग हमने छेड़ी है, उसकी सफलता इसी पर निर्भर है कि हम नियम-संयम का कितना पालन करते हैं। हम इसमें सफल रहे तो कोरोना वायरस पर जीत सुनिश्चित है। 

श्रद्धालुओं के मन में दुविधा है कि चैत्र नवरात्र में कलश की स्थापना कैसे करेंगे। घट स्थापित किए बिना नवरात्र पूजन और व्रत का पालन कैसे होगा। लेकिन, कठिन एवं विषम परिस्थितियों में नवरात्र व्रत का पालन पुष्प-अक्षत, यहां तक मात्र जल से भी किया जा सकता है। पूजा के लिए मन में श्रद्धा का भाव और तन की शुद्धता जरूरी है। नवरात्र पूजन के लिए शास्त्रों में मानसिक साधना-आराधना की भी अनुमति है। श्रद्धालु मां भगवती के समक्ष ध्यान लगाकर उनकी साधना-आराधना उसी भाव के साथ कर सकते हैं, जैसा कि वह आम दिनों में करते रहे हैं।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आप अपने घरों में स्टील, पीतल, तांबे, चांदी या फिर अन्य किसी घातु के लोटे में कलश की स्थापना कर सकते हैं। यह भी न हो तो गिलास में भी कलश-घट की स्थापना की जा सकती है। घट के ऊपर रखने के लिए अगर नारियल न हो तो पूर्ण सुपारी और अगर यह भी न हो तो ऐसा फल जो नौ दिनों तक खराब न हो, विकल्प के रूप में स्थापित किया जा सकता है। इस कठिन समय में आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। घरों से कतई बाहर न निकलें और घरों में भीड़ भी न जुटाएं। सिर्फ स्वजनों के साथ ही मां की पूजा करें।

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वासंतिक नवरात्र 

  • प्रतिपदा 25 मार्च: मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना 
  • द्वितीया 26 मार्च: मां ब्रह्मचारिणी पूजा 
  • तृतीया 27 मार्च: मां चंद्रघंटा पूजा 
  • चतुर्थी 28 मार्च: मां कुष्मांडा पूजा 
  • पंचमी 29 मार्च: मां स्कंदमाता पूजा 
  • षष्ठी 30 मार्च: मां कात्यायनी पूजा 
  • सप्तमी 31 मार्च: मां कालरात्रि पूजा 
  • अष्टमी 01 अप्रैल: मां महागौरी पूजा 
  • नवमी 02 अप्रैल: मां सिद्धिदात्री पूजा 
  • दशमी 03 अप्रैल: नवरात्र पारण 
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