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देहरादून में फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र पर दौड़ रहे हैं वाहन, ऐसे करें असली-नकली की पहचान

फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र पर वाहन संचालित होने का मामला सामने आया है। परिवहन टीम ने चेकिंग के दौरान एक ऑटो के दस्तावेजों की जांच की तो उसका प्रदूषण प्रमाण पत्र फर्जी मिला। टीम ने जांच केंद्र में पहुंचकर पड़ताल की।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 05 Nov 2020 08:33 AM (IST)
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फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र पर वाहन संचालित होने का मामला सामने आया है।
देहरादून, जेएनएन। फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र पर वाहन संचालित होने का मामला सामने आया है। परिवहन टीम ने चेकिंग के दौरान एक ऑटो के दस्तावेजों की जांच की तो उसका प्रदूषण प्रमाण पत्र फर्जी मिला। जिस जांच केंद्र पर यह प्रमाण पत्र बनाया गया था, टीम ने वहां भी पहुंच पड़ताल की तो ऑटो को जारी प्रमाण-पत्र का रजिस्टर की एंट्री से मिलान नहीं हुआ। जिस पर आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप सैनी ने जांच केंद्र के सभी रिकार्ड कब्जे में ले लिए व उसके मालिक से स्पष्टीकरण मांगा गया है। परिवहन मुख्यालय को संबंधित प्रदूषण जांच केंद्र के संचालन संबंधी लाइसेंस पर कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया है।

आरटीओ सैनी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण प्रमाण पत्रों की सत्यता को लेकर शिकायतें मिल रही थी। इसकी जांच के लिए बुधवार को एआरटीओ रश्मि पंत व जांच अधिकारी एमडी पपनोई की टीम को चेकिंग के निर्देश दिए गए। रायपुर रोड पर टीम ने एक ऑटो (यूके07टीए-1202) को रोककर कागजों की जांच की प्रदूषण प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। ऑटो चालक ने टीम को बताया कि उसने यह प्रमाण पत्र लाडपुर स्थित सागर मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल के प्रदूषण जांच केंद्र से बनवाया था। जिस पर टीम वहां पहुंची और उसके रजिस्टर जांचे।

जिस तारीख को प्रमाण पत्र जारी हुआ, उस तारीख को वाहन की प्रदूषण जांच केंद्र में एंट्री करने के कोई साक्ष्य नहीं मिले। जांच केंद्र संचालक भी प्रमाण पत्र पर वाहन का मिलान नहीं करा पाया। केंद्र संचालक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस दे दिया गया है।

ऐसे करें असली-नकली की पहचान

आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप सैनी ने बताया कि अगर आपको अपने प्रदूषण प्रमाण पत्र की हाथों-हाथ जांच करनी है तो मोबाइल पर एम-परिवहन एप डाउनलोड करके रखें। उन्होंने बताया कि नए सॉफ्टवेयर में सुविधा है कि आपका प्रमाण-पत्र जारी होते ही वह सर्वर पर अपडेट हो जाता है। ऐसे में आप एम-परिवहन एप पर जैसे ही प्रमाण-पत्र के डिटेल डालेंगे, तभी उसकी सत्यता का पता चल जाएगा। आरटीओ सैनी ने बताया कि आजकल एम-परिवहन एप सभी ट्रांसपोर्टरों एवं वाहन स्वामियों को मोबाइल पर रखना चाहिए। इसमें वाहन की आरसी व चालक के ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ी जानकारी भी मिल जाती है।

जांच केंद्रों की होगी पड़ताल

फर्जी प्रदूषण प्रमाण-पत्र जारी करने का मामला सामने आने पर परिवहन विभाग ने संभाग के सभी जांच केंद्रों की पड़ताल की तैयारी कर ली है। आरटीओ सैनी ने बताया कि अभी विभाग की तकनीकी टीम झाझरा में वाहन चालकों की परीक्षा में व्यस्त चल रही। तीन दिन बाद टीम के इससे मुक्त होने पर प्रवर्तन व तकनीकी टीम संयुक्त चेकिंग अभियान चलाएंगी। अलग-अलग क्षेत्रों में औचक चेकिंग की जाएगी।

51 चालान, एक वाहन सीज

परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीमों ने शहर में चेकिंग के दौरान 51 वाहनों के चालान किए जबकि ओवरलोडिंग में एक को सीज किया गया। इस दौरान अवैध रूप से दून से दिल्ली, जयपुर व आगरा आदि के लिए दौड़ रही निजी बसों के चालान भी किए।

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