Uttarakhand दौरे पर पहुंचे उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- समानता के मुद्दे पर भारत को किसी से उपदेश की जरूरत नहीं
Vice President of India Jagdeep Dhankhar देहरादून एयरपोर्ट पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। प्रेमचंद अग्रवाल ने उपराष्ट्रपति व उनकी धर्मपत्नी को माता की चुनरी ओढ़ाकर देवभूमि आगमन पर स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने उप राष्ट्रपति को आगामी चारधाम यात्रा के लिए भी आमंत्रण दिया।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Vice President of India Jagdeep Dhankhar : भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को उत्तराखंड दौरे पर पहुंचे। देहरादून एयरपोर्ट पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उनका स्वागत किया। इस दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उप राष्ट्रपति को आगामी चारधाम यात्रा के लिए भी आमंत्रण दिया।
शुक्रवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी पत्नी डा. सुदेश धनखड़ के साथ जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंचे। इस दौरान शहरी विकास एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उपराष्ट्रपति व उनकी धर्मपत्नी को माता की चुनरी ओढ़ाकर देवभूमि आगमन पर स्वागत किया।
उन्होंने उप राष्ट्रपति को गंगाजली भेंट कर आगामी चारधाम यात्रा में आने का आमंत्रण भी दिया। इस दौरान राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार, जिलाधिकारी सोनिका, एसएसपी अजय सिंह, निदेशक लाल बहादुर शास्त्री अकादमी आदि उपस्थित रहे।
समानता के मुद्दे पर भारत को किसी से उपदेश की जरूरत नहीं
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत को समानता के मुद्दे पर किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम हमेशा इसमें विश्वास करते हैं। कुछ देशों में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं है, जबकि हमारे यहां ब्रिटेन से भी पहले एक महिला प्रधानमंत्री थीं।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) न तो किसी भारतीय को उसकी नागरिकता से वंचित करता है, न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। उपराष्ट्रपति ने मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (एलबीएसएनएए) में 2023 बैच के प्रशिक्षु आइएएस के प्रथम चरण के पाठ्यक्रम समापन समारोह में यह बातें कहीं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हाल के सालों में देश में शासन व्यवस्था बेहतर हुई है। विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली अब गलियों में सड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक छवि पहले से बेहतर हुई है। भारतीय नौ सेना ने समुद्री डकैतों से लोगों को बचाने का काम किया है। प्रत्येक भारतीय को नौ सेना की इस उपलब्धि पर गर्व होगा।
सीएए के संदर्भ में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ नहीं हो सकता, कि विषय की समझ रखने वाले कुछ लोग भी जनता की अज्ञानता का फायदा उठाकर गलत बयानबाजी कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने ऐसे लोगों को बेनकाब करने काआह्वान किया। उन्होंने प्रशिक्षु आइएएस अधिकारियों से कहा कि लोग उन्हें अपने आदर्श के रूप में देखते हैं।लिहाजा, आपको ऐसे उदाहरण पेश करने होंगे, जो अनुकरणीय हों। युवाओं को प्रेरित करने के साथ ही उन्होंने प्रशिक्षु आइएएस अधिकारियों को सेवा और सहानुभूति की भावना के साथ काम करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से आगे बढ़ रहा है और पूरा विश्वास है कि आप सभी इस तेजी से बढ़ती विकास यात्रा को बनाए रखेंगे। साथ ही इसमें योगदान भी देंगे।
मैंने और मेरी पीढ़ी ने ऐसा भारत देखा है, जहां गांव में रोशनी नहीं थी, सड़क, पेयजल और घर में शौचालय व गैस कनेक्शन के बारे में आप सोच भी नहीं सकते थे, लेकिन पिछले एक दशक में हमारी अर्थव्यवस्था प्रतिकूल और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए पांच कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकलकर पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गई है।लगभग दो वर्ष में भारत जापान व जर्मनी के बाद तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि आपके पास एक सक्षम ईको सिस्टम है, जो राष्ट्र के लिए आपकी प्रतिभा और समर्पण को विस्तारित करने में सहायता करेगा। आप उस परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं, जिस पर आप विश्वास करते हैं। यह एक दुर्लभ अवसर है।
लोग बदलाव में विश्वास करते हैं, लेकिन बदलाव लाने में असमर्थ हैं, आप बदलाव लाने की स्थिति में हैं। मैं आप में अपनी दृष्टि और संकल्पना में भारत को परिभाषित करने की क्षमता देखता हूं और मुझ पर विश्वास करें, आप हमारे वर्ष 2047 मार्च, विकसित भारत के लिए सक्षम हैं। उस समय आप सभी कमांडिंग पदों पर होंगे और मैं और मेरे जैसे कई लोग स्वर्ग से उस गौरवशाली क्षण को देख रहे होंगे।उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि 'अमृतकाल से विकासशील भारत 2047 तक हमारा मैराथन मार्च' हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच से अच्छी तरह से लिखा गया है, जो गहरी लगन के साथ मिशन मोड में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आपको दूरदर्शी नीतियों को सफल बनाना होगा। हमारी अर्थव्यवस्था परिवर्तनकारी नीतियों और नवीन सुधारों से मजबूत हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए जीवनयापन में आसानी हुई है, जैसा कि महात्मा गांधी ने अपने अंत्योदय की अवधारणा में उल्लेख किया है।
पंक्ति में अंतिम व्यक्ति का ध्यान रखने वाली अंत्योदय की महात्मा गांधी की यह बहुत ही सोची समझी संकल्पना आज साकार हो रही है और यह जमीनी हकीकत है। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के निदेशक श्रीराम तरणीकांति मौजूद रहे।
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